इंग्लैंड टेस्ट टीम में पहली बार शामिल हुए सैम कूक, जिम्बाब्वे के खिलाफ डेब्यू पर रचा इतिहास

सैम कूक का डेब्यू: 31 साल बाद एसेक्स खिलाड़ी की वापसी
इंग्लैंड टेस्ट टीम ने जिम्बाब्वे के खिलाफ एकमात्र टेस्ट के लिए अपने दस्ते का ऐलान किया, जिसमें सबसे बड़ा नाम सैम कूक का रहा। एसेक्स के इस युवा तेज गेंदबाज के लिए यह मौका खास रहा, क्योंकि सैम कूक 31 साल बाद पहले ऐसे खिलाड़ी बने हैं जो एसेक्स की तरफ से डेब्यू कर रहे हैं। इससे पहले 1993 में मार्क इलॉट ने एसेक्स की ओर से इंग्लैंड के लिए टेस्ट डेब्यू किया था।
सैम कूक का घरेलू क्रिकेट में सफर कमाल का रहा है। वे लिखित सीसी और चेल्म्सफोर्ड सीसी जैसे क्लबों से होते हुए सीधे एसेक्स के मुख्य टीम तक पहुंचे। यहां उनकी धारदार गेंदबाजी और निरंतर प्रदर्शन ने उन्हें इंग्लैंड की नजरों में ला दिया।
जब इंग्लैंड ने जिम्बाब्वे के खिलाफ टेस्ट के लिए 565/6 पर पारी घोषित की, तो गेंद सैम कूक के हाथ में आई, और उन्होंने अपनी तेज गेंदबाजी से लय पकड़ ली। दूसरे दिन कूक ने अपना डेब्यू विकेट हासिल किया—जो हर गेंदबाज के लिए यादगार सपना होता है।
इतिहास में नाम दर्ज: जिम्बाब्वे की इंग्लैंड में वापसी
इस खास टेस्ट मैच की अलग ही अहमियत है। जिम्बाब्वे की टीम 21 साल बाद इंग्लैंड में पहली बार टेस्ट मैच खेल रही है। पिछली बार 2003 में जिम्बाब्वे ने यहां टेस्ट खेला था। ट्रेंट ब्रिज में खेला जा रहा यह मुकाबला इंग्लैंड की अंतरराष्ट्रीय गर्मियों की शुरुआत भी कर रहा है।
इंग्लैंड की टीम में कुछ पुराने दिग्गज जैसे ज़ैक क्रॉली, बेन डकेट, जो रूट और कप्तान बेन स्टोक्स शामिल हैं। इनके साथ ही दो और नए चेहरे—गस एटकिंसन और शोएब बशीर—को भी जगह मिली है। टेस्ट के अब तक हुए खेल में इंग्लैंड ने बल्लेबाजी का दबदबा दिखाया और 565/6 पर डिक्लेयर किया।
- पहला दिन इंग्लैंड के नाम रहा, बल्लेबाजों ने जमकर रन बटोरे।
- दूसरे दिन, गेंदबाजों की बारी आई और सैम कूक ने जैसे ही अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय गेंद फेंकी, उनकी धड़कनें बढ़ गईं।
- सैम ने जल्दी ही सफलता हासिल की, जब उन्होंने अपने करियर का पहला टेस्ट विकेट लेकर जिम्बाब्वे की पारी में सेंध लगा दी।
लंच तक जिम्बाब्वे ने भी झुकने का नाम नहीं लिया और 73/1 तक पहुंच गई। लेकिन सबकी नजरें अपने डेब्यू टेस्ट में सैम कूक के हर ओवर पर टिकी रहीं। नामी एसेक्स खिलाड़ियों की लंबी लिस्ट में अब उनका नाम भी जुड़ चुका है, जिसमें एलिस्टेयर कुक, रवि बोपारा जैसे खिलाड़ी पहले ही हैं।
ट्रेंट ब्रिज के मैदान पर जिस तरह सैम ने अपनी धाक जमाई, उससे साफ है कि इंग्लैंड की तेज गेंदबाजी को एक और मजबूत कड़ी मिल गई है। घरेलू क्रिकेट से इंटरनेशनल लेवल तक का सफर आसान नहीं होता, लेकिन सैम कूक के लिए यह सपना हकीकत बन गया है।
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