चंडीगढ़ में हरियाणा CM नायब सैनी, केंद्रीय मंत्री खट्टर की सुरक्षा में चूक, गेट लॉक होने से 15 मिनट अटकी गाड़ी

चंडीगढ़ में हरियाणा CM नायब सैनी, केंद्रीय मंत्री खट्टर की सुरक्षा में चूक, गेट लॉक होने से 15 मिनट अटकी गाड़ी

चंडीगढ़ में VVIP सुरक्षा का बड़ा सेंध, CM का काफिला रुका

सोचिए आप अपनी कार में हों और अचानक रास्ते में भारी भरकम ताला लग जाए, बाहर पुलिस खड़ी हो लेकिन कोई गेट खोलने वाला न मिले! ऐसा ही कुछ 20 फरवरी 2025 की रात चंडीगढ़ में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ हुआ। उनके सरकारी काफिले को चंडीगढ़ के पंजाब भवन और हरियाणा भवन के पास रोड ब्लॉक हो गई। यहां से उन्हें सीधा हरियाणा निवास जाना था, लेकिन रास्ता बंद गेट ने रोक दिया।

रात करीब 11 बजे का वक्त था, VVIP काफिला निकला तो सबको लगा रास्ता खाली मिलेगा। लेकिन सैकड़ों पुलिस और सिक्योरिटी गार्ड्स के रहते भी गेट में ताला लगा था। सुरक्षा अधिकारी दौड़-भाग करने लगे, आखिर खोजबीन के बाद एक वॉचमैन मिला जिसने धीरे-धीरे ताला खोला। तब तक पूरा काफिला करीब 15 मिनट तक वहीं अपनी गाड़ियों में खड़ा इंतजार करता रहा।

सवालों के घेरे में पुलिस और प्रशासन

हरियाणा सरकार ने तुरंत इसे गंभीर सुरक्षा चूक करार दिया। नायब सैनी ने खुद कहा कि यह वीवीआईपी रूट हमेशा खुला रहना जरूरी है, क्योंकि यहां से मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री और कई पत्रकार, अधिकारी, कोर्ट जज रोज गुजरते रहते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि एक ऐसा रास्ता, जिसे 24 घंटे खुला रहना चाहिए, वहां गेट क्यों बंद था?

इस पूरे मामले में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का नाम भी आया, क्योंकि उन्होंने सुरक्षा में पहले ही विशेष गार्ड की तैनाती के निर्देश दिए थे। सैनी ने अप्रत्यक्ष तौर पर पंजाब प्रशासन की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ऐसे इलाकों में बिना प्रशासनिक मंजूरी के ताला नहीं लगना चाहिए।

मामला सामने आते ही चंडीगढ़ पुलिस के बड़े अधिकारी और हरियाणा CID हरकत में आ गए। अब पूरा घटनाक्रम जांच के दायरे में है–किसने गेट बंद किया, किसकी जिम्मेदारी थी और क्या रात में सुरक्षा एजेंसियों के बीच कोई तालमेल था भी या नहीं?

  • चंडीगढ़ भारत की दो राज्यों–पंजाब और हरियाणा–की राजधानी है, यहां वीवीआईपी मूवमेंट का शेड्यूल 24×7 रहता है।
  • सिर्फ एक गेट में ताला लगना ना सिर्फ प्रशासन पर सवाल खड़े करता है बल्कि आम जनता की सुरक्षा को भी कटघरे में लाता है।
  • हरियाणा सरकार अपनी रिपोर्ट में कह चुकी है कि यदि जल्दी एक्शन न लिया जाता, तो इससे बड़ी घटना भी हो सकती थी।

जो बात हैरान करती है, वो यह कि सुरक्षा व्यवस्था इतनी लचर और उपायुक्त कैसे रही कि किसी वरिष्ठ नेता का काफिला भी सड़कों पर फंसा रह जाए? अब दोनों राज्यों की पुलिस आपस में तालमेल और जिम्मेदारियों की पड़ताल कर रही है। ऐसी घटनाओं से निशाना सिर्फ अधिकारियों पर ही नहीं, आम आदमी की सुरक्षा भी सवालों के घेरे में आ जाती है।

  • जुल॰, 18 2025
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