वैशाख पूर्णिमा 2025: तिथि, महत्व और पूजा विधि का संपूर्ण मार्गदर्शन

वैशाख पूर्णिमा 2025: तिथि, समृद्ध विरासत और धार्मिक विधि
वैशाख पूर्णिमा, जिसे हिंदू पंचांग के मुताबिक साल की दूसरी पूर्णिमा माना जाता है, 2025 में 12 मई (सोमवार) को पड़ रही है। तिथि 11 मई रात 8:01 बजे से शुरू होकर 12 मई रात 10:25 बजे तक रहेगी। इस दिन चंद्रमा का उदय शाम 6:57 बजे माना गया है। यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि गहरी आस्था, परंपरा और दान से जुड़ी तिथि है।
हर साल वैशाख पूर्णिमा पर देश के अलग-अलग हिस्सों में नदियों के घाट, मंदिर और बौद्ध-मठों में श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आती है। लोग सुबह से स्नान, दान और पूजा में रमे रहते हैं।
धार्मिक परंपराएँ और सामाजिक रंग
हिंदू धर्म में, यह दिन भगवान विष्णु और सत्यानारायण भगवान की विशेष पूजा के लिए जाना जाता है। परिवार के लोग सामूहिक रूप से उपवास रखते हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं। सत्यानारायण व्रत कथा सुनाना, प्रसाद का वितरण और ब्राह्मणों का भोजन करवाना आम परंपरा है। ग्रामीण इलाकों में कई जगह झूले लगे होते हैं और कीर्तन-भजन की धुनें गूंजती हैं।
इधर बौद्ध धर्माधिकारी इसे बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं — यही दिन भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण से जुड़ा है। बोधगया, कुशीनगर और सारनाथ जैसे केंद्रों पर हजारों लोग इकट्ठा होते हैं। बौद्ध अनुयायी मंदिरों में मोमबत्तियाँ जलाते हैं, ध्यान और प्रार्थना करते हैं, और निर्धनों को भोजन और वस्त्र दान देते हैं। पूरे विश्व में भारतीय दूतावासों से लेकर बौद्ध देशों में यह दिन खास तौर से मनाया जाता है।
जैन धर्म में भी वैशाख पूर्णिमा का महीना परोपकार, तपस्या और दान के लिए जाना जाता है। बड़े तीर्थक्षेत्रों में साधु-संतों के प्रवचन, आयंबिल (एक समय भोजन) और गरीबों की सेवा का आयोजन होता है।
अगर आप पूजा का संकल्प ले रहे हैं, तो सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, साफ वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु अथवा सत्यानारायण की मूर्ति/चित्र के आगे दीपक और फूल चढ़ाएं। कथा के बाद घर में प्रसाद का वितरण करें और ब्राह्मण अथवा गरीब को भोजन करवाना इस दिन का जरूरी अंग है।
कुछ लोग चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए स्वास्थ्य, धन-संपत्ति और पारिवारिक सुख की कामना करते हैं। चंद्र पूजा के लिए शाम 6:57 बजे का समय इस साल आदर्श माना गया है, लेकिन स्थान के हिसाब से इसमें थोड़ी बहुत फेरबदल हो सकती है।
- तिथि शुरू: 11 मई, रात 8:01 बजे
- तिथि समाप्त: 12 मई, रात 10:25 बजे
- चंद्रमा उदय: 12 मई, शाम 6:57 बजे
सत्यानारायण व्रत कथा के दौरान देवी-देवताओं की पूजा, नारियल और पंचामृत का भोग, और अंत में भक्तजनों का भोजन आयोजनों में शामिल रहता है। दान-पुण्य की दृष्टि से गेहूं, कपड़े, छाता, फल और जल घड़ा देने का भी बड़ा महत्व है।
वैशाख पूर्णिमा सिर्फ धार्मिक रस्म या अनुष्ठान भर नहीं है, बल्कि यह खुद में करुणा, सेवा और सामाजिक एकजुटता की असली भावना लेकर आती है।
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