CBDT ने आयकर रिटर्न की डेडलाइन बढ़ाई: 2025-26 के करदाताओं को मिली बड़ी राहत

CBDT ने आयकर रिटर्न की डेडलाइन बढ़ाई: 2025-26 के करदाताओं को मिली बड़ी राहत

CBDT के नए एक्सटेंशन की प्रमुख बातें

देश भर में कर दायित्वनुमा करदाताओं और उनके व्यावसायिक सलाहकारों को ई‑फाइलिंग पोर्टल पर लगातार तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। इन कठिनाइयों के मद्देनज़र, केन्द्रिय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आय कर वर्ष 2025-26 (AY 2025‑26) के लिए समय‑सीमा में व्यापक बदलाव किए।

पहले, गैर‑ऑडिट आयकर रिटर्न (ITR) की सामान्य अंतिम तिथि 31 जुलाई थी। पोर्टल पर लगातार गड़बड़ी और जरूरी फॉर्म‑ऑफ़्स की देर से उपलब्धता को देखते हुए, CBDT ने इसे 15 सितंबर तक बढ़ाया, फिर 24 घंटे अतिरिक्त देकर 16 सितंबर 2025 को मध्यरात्रि तक कर दिया। यह दो बार की एक्सटेंशन पहली बार नहीं, बल्कि इस वित्तीय वर्ष की दूसरी बार की मियाद विस्तार है।

ITR विस्तार के अलावा, टैक्स‑ऑडिट की आवश्यकता वाले करदाताओं के लिए भी समय‑सीमा में बदलाव किया गया। पहले 30 सितंबर 2025 को निर्धारित ऑडिट रिपोर्ट (टैक्स ऑडिट रिपोर्ट, ट्रांसफर प्राइसिंग रिपोर्ट आदि) की जमा‑तारीख को 31 अक्टूबर 2025 तक बढ़ा दिया गया। यह बदलाव आयकर अधिनियम की धारा‑139(1) के उप‑धारा‑2 के अंतर्गत आयकर ऑडिट के दायरे में आने वाले सभी योगदानकर्ताओं पर लागू है।

इन प्रमुख बदलावों को पेश करने के पीछे पेशेवर संघों की लगातार दबाव और अदालतों द्वारा दर्ज शिकायतें थीं। चार्टर्ड अकाउंटेंट एसोसिएशन, सूरत (CAAS) और कर्नाटक स्टेट चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन (KSCAA) ने फॉर्म‑डिलीवरी में देरी, बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से उत्पन्न कठिनाइयों को उजागर किया। CAAS के अध्यक्ष हार्दिक काकड़िया ने टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की अंतिम तिथि को 30 नवंबर 2025, ऑडिट‑आधारित ITR को 31 दिसंबर 2025 और ट्रांसफर प्राइसिंग रिपोर्ट को 31 जनवरी 2026 तक बढ़ाने की माँग की थी।

रजस्थान हाई कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर ध्यान दिया। एक सार्वजनिक हित याचिका (PIL) में करदाताओं को तकनीकी त्रुटियों के कारण अनुचित दंड, ब्याज और कुछ नुकसान के आगे ले जाने के अधिकार से वंचित होने की बात उठाई गई थी। कोर्ट ने अंतरिम राहत के रूप में मियाद बढ़ाने को निर्देशित किया, जिससे CBDT को इन मांगों को संभालना पड़ा।

टैक्सपेयर पर असर और दंड

टैक्सपेयर पर असर और दंड

समय‑सीमा बढ़ाने से कई करदाताओं को राहत मिली, पर देर से दाखिल करने वाले लोग अभी भी दंड के अधीन हैं। ITR के लिये, आय 5 लाख रुपये से अधिक होने पर ₹5,000 का दंड और आय 5 लाख से कम होने पर ₹1,000 का दंड लगाया जाता है। टैक्स‑ऑडिट रिपोर्ट में देरी पर धारा‑271B के तहत टर्नओवर या ग्रॉस रसीदों का 0.5% दंड, अधिकतम ₹1.5 लाख, जब तक कि उचित कारण सिद्ध न हो।

  • ITR देर से फाइल करने पर:
    1. ₹5,000 (आय > ₹5 लाख)
    2. ₹1,000 (आय ≤ ₹5 लाख)
  • ऑडिट रिपोर्ट देर से फाइल करने पर: 0.5% टर्नओवर, अधिकतम ₹1.5 लाख

सितंबर 23 तक, लगभग 7.59 क़रोर करदाताओं ने अपने रिटर्न जमा कराए हैं, जबकि 5.09 क़रोर रिटर्न अभी तक प्रोसेस हो चुके हैं। इस आंकड़े से स्पष्ट होता है कि बड़ी संख्या में करदाता अभी भी अपनी फ़ाइलिंग प्रक्रिया में उलझे हुए हैं और समय‑सीमा में बदलाव उनके लिए बहुत मायने रखता है।

कर विशेषज्ञों का मानना है कि नई मियाद का फ़ायदा उठाते हुए जल्द से जल्द फ़ाइलिंग पूर्ण करना चाहिए। पोर्टल पर आखिरी मिनट में फिर‑फिर गड़बड़ियों का सामना करना पड़े तो दंड या प्रोसेसिंग में देर का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए, मौजूदा व्यवस्था को समझते हुए, जरूरी दस्तावेज़ एकत्र कर, समय‑सीमा के भीतर ITR और ऑडिट रिपोर्ट दोनों को जमा करना ही सर्वोत्तम रहेगा।

  • सित॰, 26 2025
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