क्वांट म्यूचुअल फंड में कथित फ्रंट रनिंग के लिए सेबी द्वारा जांच
क्वांट म्यूचुअल फंड पर सेबी का शिकंजा
क्वांट म्यूचुअल फंड पर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) द्वारा गहन जांच शुरू कर दी गई है। यह जांच फंड प्रबंधकों द्वारा निवेश से संबंधित गतिविधियों में कथित अनियमितताओं के मामले में की जा रही है। माना जा रहा है कि फंड प्रबंधकों ने संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग करते हुए अपने व्यक्तिगत खातों में लेनदेन किया है, जिसे 'फ्रंट रनिंग' कहा जाता है।
सेबी की छापेमारी
सेबी ने कंपनी के मुंबई और हैदराबाद स्थित कार्यालयों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई कई नियमित निरीक्षणों में पाई गई विसंगतियों और ऑडिट फर्मों द्वारा उजागर की गई चिंताओं के चलते की गई है। सूत्रों के अनुसार, सेबी ने इन कार्यालयों में आवश्यक दस्तावेज़ और साक्ष्य जुटाने के लिए यह कदम उठाया है।
कंपनी के संस्थापक सांडिप टंडन भी इस जांच के दायरे में हैं। टंडन द्वारा 22 योजनाओं में निवेश निर्णय लेने का काम किया जाता है। इन योजनाओं के तहत किए गए लेनदेन की गहनता से जांच की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, यह सभी योजनाएं उनकी निगरानी में चलती हैं और उनमें कुछ अनियमितताएं पाई गई हैं।
फ्रंट रनिंग: अनैतिक और अवैध प्रचलन
फ्रंट रनिंग एक ऐसा प्रचलन है जिसमें फंड प्रबंधक बाजार की गतिविधियों का लाभ उठाने के लिए गुप्त जानकारी का दुरुपयोग करते हैं। इसमें वे अपने व्यक्तिगत खातों में व्यापार करते हैं और फिर अपनी देखरेख वाली योजनाओं में लेनदेन करते हैं। यह न केवल अनैतिक है बल्कि कानूनन भी अवैध है।
यह कृत्य न केवल निवेशकों के विश्वास को ठेस पहुंचाता है, बल्कि बाजार की निष्पक्षता को भी प्रभावित करता है। सेबी इस प्रकार की अनियमितताओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने के प्रयास में है।
कंपनी का इतिहास और विकास
क्वांट ग्रुप की स्थापना 2007 में हुई थी और इसे म्यूचुअल फंड लाइसेंस 2017 में मिला। शुरूआत में, कंपनी के प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां (एयूएम) केवल 100 करोड़ रुपये थीं, लेकिन अब यह आंकड़ा बढ़कर 80,000 करोड़ रुपये के पार हो गया है।
कंपनी 'बिंग रिलिवेंट' और 'प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स' के सिद्धांतों के तहत काम करती है। ये सिद्धांत कंपनी को निरंतर ज्ञान को अपडेट करने और नई प्रणाली और प्रक्रियाओं को लागू करने में मदद करते हैं।
सेबी की जांच का महत्व
सेबी की यह कार्रवाई निवेशकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने और बाजार में पारदर्शिता बनाए रखने के प्रयास का हिस्सा है। ऐसा माना जा रहा है कि इस जांच से निवेशकों के बीच विश्वास बहाल होगा और आगे से इस प्रकार की अनियमितताओं पर अंकुश लगेगा।
संक्रमणकाल में बाजार के सभी हितधारक यह आशा कर रहे हैं कि सेबी की यह सख्त कार्रवाई निवेशकों के लाभ के लिए आवश्यक बदलाव लाएगी और व्यवस्था को और भी मजबूत करेगी। इस कदम से अन्य म्यूचुअल फंड कंपनियों को भी सख्त संदेश मिलेगा कि किसी भी प्रकार की अनैतिक गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अंतरिम निष्कर्ष आने में कितना समय लगेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन सेबी की कार्रवाई ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि किसी भी स्तर पर अनियमितताओं को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।
अब सबकी निगाहें सेबी की जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं और यह देखना बाकी है कि अंततः क्या निर्णय सामने आता है।
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