World Environment Day 2025: राजस्थान में प्रदूषण और प्लास्टिक कचरा रोकने की चेतावनी, सामूहिक जागरूकता ही समाधान

World Environment Day 2025: राजस्थान में प्रदूषण और प्लास्टिक कचरा रोकने की चेतावनी, सामूहिक जागरूकता ही समाधान
  • जून, 6 2025

पर्यावरण संकट की जमीन पर राजस्थान की नई पहल

हर साल 5 जून को वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे के मौके पर दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण को लेकर चर्चा होती है, लेकिन इस बार राजस्थान ने दिलचस्प तरीके से पहल की है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (RSPCB) ने एक खास न्यूज़लेटर शुरू किया है जिसमें गांव-गांव की छोटी पर असरदार पर्यावरणीय पहलों को जगह दी गई है। इसका मकसद आम लोगों को खुद आगे आकर सफाई अभियान और टिकाऊ जीवनशैली को अपनाने के लिए प्रेरित करना है।

राज्य के पर्यटन विभाग ने भी इस दिन को खास बनाते हुए फालौदी के खिचन और मेनार को पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील जगह घोषित किया। इन क्षेत्रों में पक्षियों, जलाशयों और स्थानीय जैव विविधता के महत्व को उजागर करते हुए संरक्षण के उपायों पर काम हो रहा है। यह संदेश साफ है—हमारी धरती और इसकी विविधता हमारे दैनिक फैसलों और सामूहिक प्रयासों से ही बच सकती है।

प्लास्टिक प्रदूषण पर वैश्विक चिंता, स्थानीय समाधान

दुनिया की सबसे बड़ी चिंता है प्लास्टिक प्रदूषण, जिसमें भारत समेत सभी विकासशील देश बुरी तरह फंसते जा रहे हैं। यूएन पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के मुताबिक हर साल 1.1 करोड़ टन प्लास्टिक जल और जमीन में घुल जाता है, जो मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को भी प्रभावित करता है। माइक्रोप्लास्टिक अब खेतों तक पहुंचकर अन्न और पानी को भी जहरीला बना रहा है, जिससे आर्थिक नुकसान सालाना 300–600 अरब डॉलर तक पहुंच जाता है।

राजस्थान सरकार ने इसी के जवाब में 5R फ्रेमवर्क—Refuse, Reduce, Reuse, Recycle, Rethink—को आम जिंदगी में अपनाने की अपील की है। इसके तहत न केवल प्लास्टिक के उपयोग को टालने बल्कि कचरे की छंटाई, रिसाइक्लिंग और नए विकल्पों को तलाशने पर फोकस किया जा रहा है।

  • स्कूल-कॉलेजों में वर्कशॉप्स और प्रदर्शनी के जरिए बच्चों को पर्यावरण विज्ञान की प्रैक्टिकल समझ दी जा रही है।
  • विशेष नीति संवादों में स्थानीय उद्योगों, किसानों और दुकानदारों को वैकल्पिक पैकेजिंग और कचरा प्रबंधन के तरीके सिखाए जा रहे हैं।
  • शहरों और गांवों में सामूहिक सफाई अभियान चलाए जा रहे हैं, जिसमें महिलाएं, युवा और बुजुर्ग—सब भाग ले रहे हैं।

पर्यावरण दिवस एक अलार्म की तरह है—अगर अभी भी लोग जिम्मेदारी नहीं लें तो रेगिस्तान का दायरा बढ़ सकता है, गांव खाली होने लगेंगे और स्थायी नुकसान झेलना पड़ेगा। इसीलिए राजस्थान की पूरी कोशिश है कि नीतियों से लेकर सबकी सोच में बदलाव आए और पर्यावरण को लेकर थोड़ी सी अतिरिक्त सतर्कता दिखे।

20 टिप्पणि
  • Nikita Patel
    Nikita Patel जून 8, 2025 AT 05:29
    इस तरह की पहलें बहुत जरूरी हैं। गांवों में लोग अभी भी प्लास्टिक के बर्तन और बोतलें फेंक देते हैं, लेकिन अगर स्कूलों में बच्चों को इसकी अहमियत समझाई जाए, तो आने वाली पीढ़ी बदल जाएगी।

    मैंने अपने गांव में एक छोटा सा रिसाइक्लिंग केंद्र शुरू किया है-लोग अब अपना प्लास्टिक लाते हैं, हम उसे साफ करके बेच देते हैं। थोड़ा सा, लेकिन असर है।
  • abhishek arora
    abhishek arora जून 8, 2025 AT 09:03
    अरे भाई! ये सब नीतियाँ तो बस दिखावा है! 🤦‍♂️ जब तक हमारे लोगों को अपनी आदतें बदलने की हिम्मत नहीं होगी, तब तक कुछ नहीं होगा। अमेरिका और चीन कर रहे हैं तो हम यहाँ न्यूज़लेटर बना रहे हैं? 😒
  • Kamal Kaur
    Kamal Kaur जून 9, 2025 AT 21:55
    मैंने अपनी माँ को देखा है-वो हर दिन बाजार से आते ही कपड़े के बैग में सब कुछ रख देती हैं। उनकी आदत ने पूरे परिवार को बदल दिया।

    ये छोटे-छोटे कदम ही बड़े बदलाव लाते हैं। बस थोड़ा सा धैर्य और लगन चाहिए। ❤️
  • Ajay Rock
    Ajay Rock जून 10, 2025 AT 14:10
    ओहो! राजस्थान ने अच्छा काम किया? 😏 अरे भाई, तुम्हारे राज्य में तो अभी भी नदियों में कचरा बहता है, और तुम फालौदी के खिचन की बात कर रहे हो? ये सब फेक न्यूज़ है जो सरकार फैला रही है।

    किसी ने तो देखा है कि गांवों में लोग अभी भी प्लास्टिक की बोतलें नदी में फेंक रहे हैं? 🤭
  • Lakshmi Rajeswari
    Lakshmi Rajeswari जून 12, 2025 AT 00:06
    ये सब नीतियाँ... बस एक बड़ा धोखा है!!! 😡 जब तक सरकार अपने बॉसों के लिए प्लास्टिक कंपनियों को नहीं रोकेगी, तब तक ये सब बकवास है! यूएन का कहना है कि 1.1 करोड़ टन... तो क्या हमारे यहाँ के गांवों में बच्चे बीमार हो रहे हैं? क्या आपने कभी एक बच्चे के बच्चे को देखा है जिसके पेट में माइक्रोप्लास्टिक है?!?!?!
  • Piyush Kumar
    Piyush Kumar जून 12, 2025 AT 21:35
    ये सिर्फ एक शुरुआत है! जिस तरह से राजस्थान ने लोगों को जोड़ा है-महिलाएं, युवा, बुजुर्ग-ये देखकर मेरा दिल भर गया!

    हम जितना बदलाव चाहते हैं, उतना ही हमें खुद बदलना होगा। आज एक बैग ले जाओ, कल एक बोतल न फेंको, फिर देखो कैसे दुनिया बदलती है! 🌱💪
  • Srinivas Goteti
    Srinivas Goteti जून 13, 2025 AT 14:12
    मैंने इस न्यूज़लेटर को पढ़ा। अच्छा काम हुआ है। बस इतना ही। बहुत ज्यादा गर्मी नहीं करनी चाहिए। धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।
  • Rin In
    Rin In जून 15, 2025 AT 14:10
    अरे भाई! ये 5R फ्रेमवर्क तो बहुत अच्छा है! 😍 मैंने अपने घर पर एक रिसाइक्लिंग बॉक्स लगा दिया है-अब मेरी बहन भी शुरू हो गई! बस थोड़ा सा ध्यान दो... बाकी सब खुद हो जाएगा! 🌍♻️
  • michel john
    michel john जून 15, 2025 AT 20:41
    ये सब बकवास है... जब तक हमारे लोग अपनी आदतों को नहीं बदलेंगे... और अरे! ये सरकार तो अमेरिका की बातें कर रही है... हमारे देश में तो लोग जानते हैं कि क्या करना है... बस अब इन बाहरी लोगों को चुप कराओ! 🇮🇳🔥
  • shagunthala ravi
    shagunthala ravi जून 16, 2025 AT 22:17
    मैंने अपने गांव में एक छोटी सी सभा लगाई थी-हर महिला ने अपना कपड़े का बैग लाया। किसानों ने बताया कि वो अब बाजार में नकली पैकेट नहीं खरीदते।

    ये बदलाव बड़ा नहीं, लेकिन असली है। बस इतना ही काफी है।
  • Urvashi Dutta
    Urvashi Dutta जून 18, 2025 AT 12:11
    मैं राजस्थान की इस पहल को बहुत पसंद करती हूँ, क्योंकि ये सिर्फ एक सरकारी नीति नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक वापसी है।

    हमारे पूर्वज लकड़ी के बर्तन, गीले कपड़े, बाँस के टोकरे और मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करते थे। ये सब टिकाऊ था। अब हम उस ज्ञान को फिर से याद कर रहे हैं।

    हमारी भाषा में भी इसका जिक्र है-'पानी का नाम लेना, पृथ्वी को नमन करना'।

    ये नीतियाँ बस एक टेक्निकल फ्रेमवर्क नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक जागृति है। हमें अपने जीवन को फिर से अपनी जमीन के साथ जोड़ना होगा।

    जब तक हम इसे एक व्यवहार नहीं बना लेंगे, बस एक नीति के रूप में रख लेंगे, तब तक ये सब बेकार होगा।

    मैं अपने बच्चों को बताती हूँ कि जब वो प्लास्टिक का बैग लेते हैं, तो वो एक जीवन को नहीं, बल्कि एक जीवन के बाद के सभी जीवनों को नष्ट कर रहे हैं।

    हमारी धरती केवल संसाधन नहीं है-वो हमारी माँ है।
  • Rahul Alandkar
    Rahul Alandkar जून 19, 2025 AT 00:52
    मैं बस इतना कहना चाहता हूँ कि ये पहल अच्छी है। बस थोड़ा और समय दें।
  • Jai Ram
    Jai Ram जून 20, 2025 AT 05:57
    मैंने एक गांव में काम किया था-हमने लोगों को सिखाया कि कैसे प्लास्टिक के बर्तन को गर्म करके बर्तन बनाया जाता है। अब वो उसे बेचकर कमाई कर रहे हैं।

    रिसाइक्लिंग सिर्फ बचाव नहीं, बल्कि आय का स्रोत भी हो सकती है। अगर इसे बुनियादी स्तर पर बढ़ाया जाए, तो ये एक अर्थव्यवस्था बन जाएगी। 🌟
  • Vishal Kalawatia
    Vishal Kalawatia जून 21, 2025 AT 20:13
    अरे ये सब बकवास है! तुम लोगों को नहीं पता कि कितना प्लास्टिक चीन से आ रहा है? सरकार तो बस लोगों को गुमराह कर रही है! ये नीतियाँ बस बेकार के नाम पर लोगों को भ्रमित करने के लिए हैं। असली जिम्मेदार कौन है? वो जो ये प्लास्टिक आयात कर रहा है!
  • Kirandeep Bhullar
    Kirandeep Bhullar जून 22, 2025 AT 00:46
    क्या आपने कभी सोचा है कि जब तक लोगों को अपनी आदतों का अहसास नहीं होगा, तब तक कोई नीति काम नहीं करेगी? हम सब बस बाहर की नीतियों को देखते हैं... अंदर की सोच तो बदली नहीं जा रही।

    क्या ये न्यूज़लेटर वास्तव में गांवों तक पहुँच रही है? या बस शहरों के लिए बनाई गई है?
  • DIVYA JAGADISH
    DIVYA JAGADISH जून 22, 2025 AT 01:22
    कपड़े का बैग ले लो। बस।
  • Amal Kiran
    Amal Kiran जून 23, 2025 AT 00:54
    ये सब बकवास है। कौन बनाएगा इन नीतियों को? जो इनकी बात कर रहे हैं, वो खुद घर पर एक बोतल नहीं रिसाइकल करते।
  • abhinav anand
    abhinav anand जून 23, 2025 AT 09:20
    मैंने इसे पढ़ा। अच्छा है। लेकिन अगर ये सब लोगों के दिलों में नहीं बैठेगा, तो ये सिर्फ एक शब्द होगा।
  • Rinku Kumar
    Rinku Kumar जून 24, 2025 AT 23:26
    वाह! बहुत बढ़िया! अब हम अपने राज्य के लोगों को दिखाएंगे कि कैसे एक रेगिस्तानी राज्य दुनिया को बचा रहा है! वैश्विक स्तर पर इसे बड़ा बनाना होगा। क्योंकि जब भारत करता है, तो दुनिया देखती है! 🇮🇳✨
  • Nikita Patel
    Nikita Patel जून 25, 2025 AT 11:40
    मैंने अपने गांव के बच्चों को एक डॉक्यूमेंट्री दिखाया था-उन्होंने देखा कि कैसे प्लास्टिक की बोतलें नदी में बहती हैं।

    अगले दिन वो सब बर्तन लेकर आए-'अब हम नहीं फेंकेंगे!'

    बस एक बार देख लो। बाकी सब अपने आप हो जाता है।
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