मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2024: कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण चर्चा
मानसिक स्वास्थ्य का महत्व: कार्यस्थल की चुनौतियों का समाधान
आज के दौर में, जहां हम विभिन्न आधुनिक सुविधाओं का उपभोग कर रहे हैं, वहीं मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसा मुद्दा है जो ज्यादातर गुप्त रहता है और जिसे आमतौर पर गंभीरता से नहीं लिया जाता है। इसी विषय की तरफ ध्यान खींचते हुए विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2024 पर, एक विशेष सर्वेक्षण ने खुलासा किया कि भारत में 67% कर्मचारियों ने काम में तनाव महसूस किया है।
सांख्यिकी द्वारा प्रकट की गई चिंता
सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि 52% कर्मचारियों ने काम के बोझ को तनाव का मूल कारण बताया है, और 55% को उनके कार्य से जुड़े तनाव के कारण नौकरी छोड़ने पर विचार करना पड़ा है। यह आंकड़े साफ तौर पर यह दर्शाते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करना अब संभव नहीं है। वर्तमान परिस्थितियों में, जहां महामारी ने हमारे जीवन पर गहरा असर डाला है, कार्यस्थल का वातावरण और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।
डॉ. समीर पारीख की अंतर्दृष्टि: मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव
फोर्टिस हेल्थकेयर में मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहारिक विज्ञान के निदेशक डॉ. समीर पारीख के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे कर्मचारियों की उत्पादकता और समग्र कल्याण को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकते हैं। यह स्पष्ट है कि यदि कर्मचारी मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं, तो उनकी कार्यप्रदर्शन क्षमता प्रभावित होगी। इसलिए, यह जरूरी है कि नियोक्ता एक सहायक कार्यस्थल वातावरण का निर्माण करें जो कर्मचारियों को उनकी मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं के बारे में खुलकर चर्चा करने के लिए प्रेरित करे।
तनाव के कारण और उनके निवारण
काम से जुड़े तनाव के कारण कई हैं, जैसे कि लंबी कार्य अवधि, काम और जीवन के बीच संतुलन की कमी, और अवास्तविक अपेक्षाएं। कभी-कभी, कार्यस्थल के भीतर की संस्कृति भी तनाव का कारण बन सकती है। इसलिए, यह अनिवार्य है कि एक सकारात्मक माहौल की स्थापना की जाए जहां कर्मचारी खुलकर अपने विचार और चिंताओं को प्रकट कर सकें।
कर्मचारी सहायता कार्यक्रम (EAPs) की भूमिका
कर्मचारी सहायता कार्यक्रम (EAPs) एक महत्वपूर्ण पहलू हैं जो कर्मचारियों को तनाव और चिंता को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं। सन लाइफ एशिया सर्विस सेंटर के मुख्य मानव संसाधन अधिकारी, राजीव भारद्वाज के अनुसार, ईएपी के माध्यम से कर्मचारी परामर्श सेवाओं और मानसिक स्वास्थ्य संसाधनों तक पहुंच प्राप्त कर सकते हैं। वे कहते हैं कि नियोक्ताओं को कार्यस्थल पर एक समावेशी और कल्याणकारी संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए।
वर्तमान समय में मानसिक स्वास्थ्य की प्राथमिकता
महामारी के बाद के युग में मानसिक स्वास्थ्य की प्राथमिकता आधार बन गई है। नियोक्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अपने कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता दे रहे हैं। एक सहायक कार्य वातावरण बनाकर और मानसिक स्वास्थ्य संसाधनों तक पहुंच प्रदान करके, नियोक्ता कर्मचारियों को तनाव और चिंता को प्रबंधित करने, उत्पादकता में सुधार, और नौकरी छोड़ने की दर को कम करने में मदद कर सकते हैं।
अंततः, यह समझना महत्वपूर्ण है कि मानसिक स्वास्थ्य एक अविभाज्य भाग है जो कर्मचारियों की दक्षता और वित्तीय प्रदर्शन को प्रभावित करता है। ऐसे में, इसका उचित प्रबंधन और ध्यान देने से समाज के हर क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन संभव है।
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