भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के लिए भारी बारिश के चलते रेड अलर्ट जारी किया है। अगले कुछ दिनों में इन क्षेत्रों में अचानक बाढ़ और भूस्खलन होने की संभावना है। निवासियों और पर्यटकों को अत्यधिक सतर्क रहने और अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी गई है।
भारी वर्षा - ताज़ा मौसम अपडेट और सुरक्षित रहने के टिप्स
अभी कई राज्यों में भारी बारिश ने लोगों की जिंदगी को सीधे छू रहा है। यूपी, दिल्ली, राजस्थान जैसे क्षेत्रों में तेज़ बौछारें, तेज़ हवाएँ और कभी‑कभी अचानक बाढ़ भी देखी जा रही हैं। मौसम विभाग ने 24 जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया है, इसलिए सावधानी बरतना जरूरी है। इस लेख में हम आपको बतायेंगे कि कहां-कहां बारिश हो रही है और ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए ताकि आप सुरक्षित रहें।
अभी कहाँ हो रही भारी बारिश?
उत्तरी प्रदेशों में सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज और दिल्ली के आसपास हैं। इन जगहों पर पिछले दो दिनों में 100 mm से अधिक बारिश दर्ज की गई है। राजस्थान के कुछ हिस्से, जैसे बहरूच, भी मैनसून की तीव्रता देख रहे हैं। समुद्री तट वाले क्षेत्रों में तूफानी लहरें और तेज़ हवा चल रही है, जिससे किनारे पर रहने वालों को अतिरिक्त सतर्क रहना चाहिए। कृषि क्षेत्र में फसलें जलजली का सामना कर रही हैं, इसलिए किसान जल्दी से जल्दी अपने खेतों की जाँच करें और आवश्यक उपाय अपनाएँ।
भारी वर्षा में क्या करें?
सबसे पहले, स्थानीय मौसम अलर्ट पर नजर रखें। मोबाइल ऐप या टीवी के माध्यम से अपडेट लेते रहें। अगर आप यात्रा करने वाले हैं तो सड़क की स्थिति देख कर ही निकलें; जलभराव वाली सड़कों को छोड़कर वैकल्पिक मार्ग चुनें। घर में रहने वालों को निचले मंजिलों में पानी जमा होने से बचने के लिये बाढ़ रोकने वाले बैरियर या रेत का ढेर तैयार रखें। बिजली गिरने की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को प्लग से निकाल दें और खुले जगह में न खड़े रहें।
भारी बारिश के समय स्वास्थ्य भी एक बड़ी चिंता बन जाता है। पानी जमा होने से मच्छर पनपते हैं, जिससे डेंग्यू या मलेरिया का खतरा बढ़ता है। घर के आसपास साफ‑सफाई रखें और स्थिर पानी को हटाएँ। अगर आप बाहर फँसे हों तो ऊँची इमारत या बहरी जगह में शरण लें, नीचे की निचली झोपड़ियों से बचें।
यदि बाढ़ की स्थिति बनती है, तो तुरंत स्थानीय अधिकारियों को कॉल करें और सुरक्षित स्थान पर पहुंचने का प्रयास करें। सरकारी राहत केंद्र अक्सर स्कूलों या सार्वजनिक भवनों में स्थापित होते हैं; वहां जाने से मदद मिल सकती है। अपने परिवार के साथ संपर्क बनाए रखें, ताकि किसी आपातकालीन स्थिति में जल्दी से सूचना साझा कर सकें।
भारी वर्षा का असर खेती पर भी गहरा पड़ता है। किसान फसल की बचाव के लिए बाढ़‑रोधी उपाय जैसे प्लास्टिक कवर या ऊँची जमीन तैयार करना शुरू कर सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण अब ऐसी तीव्र बरसातें अधिक बार आती दिख रही हैं, इसलिए दीर्घकालीन योजना बनाना ज़रूरी है।
समाप्ति में यह कहेंगे कि भारी बारिश से बचाव केवल सरकार या मौसम विभाग की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का व्यक्तिगत दायित्व भी है। अलर्ट सुनें, तैयारी रखें और जरूरत पड़ने पर मदद माँगने में संकोच न करें। इस तरह हम सभी मिलकर सुरक्षित रह सकते हैं और प्रकृति के साथ सामंजस्य बना सकते हैं।