Generative AI: क्या है, कैसे बदल रहा है हमारा दिन‑चर्या

आपने हाल ही में सोशल मीडिया या समाचार साइटों पर ‘Generative AI’ का नाम ज़्यादा सुना होगा। ये शब्द सुनते‑सुनते लगता है कि कोई जटिल तकनीक है, लेकिन असल में यह हमारे रोज़ के काम को आसान बनाने वाली एक नई सोच है। सरल भाषा में कहें तो, जनरेटिव एआई ऐसे कंप्यूटर प्रोग्राम हैं जो डेटा से सीख कर नया कंटेंट – टेक्स्ट, इमेज, आवाज या वीडियो – बना देते हैं। आप बस अपना सवाल या प्रॉम्प्ट लिखते हैं, और ये मॉडल तुरंत जवाब देता है।

Generative AI कैसे काम करता है?

आधार में ‘न्यूरल नेटवर्क’ होते हैं जो अरबों शब्द‑और‑चित्रों से सीखते हैं। जब आप उन्हें कोई कमांड देते हैं, तो वे उस सीखे हुए पैटर्न को उपयोग करके नई चीज़ बनाते हैं। उदाहरण के तौर पर, चैटजीपीटी जैसे मॉडल आपको ईमेल लिखने में मदद कर सकते हैं, जबकि डैल‑ई इमेज जनरेटर्स आपका दिलचस्प विचार एक चित्र में बदल देते हैं। इस तकनीक की तेज़ी से अपडेट और क्लाउड सर्विसेज के कारण छोटे स्टार्ट‑अप्स भी अब इसे अपनाकर नई प्रोडक्ट बना रहे हैं।

भारत में Generative AI के प्रमुख उपयोग

भारत में जनरेटिव एआई का असर पहले ही कई सेक्टरों में दिख रहा है। शिक्षा क्षेत्र में, शिक्षक चैटबॉट्स की मदद से छात्रों को व्यक्तिगत ट्यूशन दे रहे हैं और रीयल‑टाइम क्विज़ बनाते हैं। स्वास्थ्य देखभाल में डॉक्टर रोगी रिपोर्ट का सारांश जल्दी तैयार कर सकते हैं, जिससे इलाज तेज़ हो जाता है। मीडिया कंपनियों ने लेख लिखने या वीडियो एडिट करने के लिए एआई टूल्स अपनाए हैं – इससे कंटेंट की गति बढ़ती है और लागत घटती है।

फाइनैंस सेक्टर में भी बड़े बदलाव हो रहे हैं। जनरेटिव एआई रिपोर्ट बनाता है, जोखिम विश्लेषण करता है और ग्राहक सवालों के जवाब तुरंत देता है। छोटे व्यवसाय अपने मार्केटिंग कॉपी को जल्दी तैयार करने या सोशल मीडिया पोस्ट की कल्पना बनाने के लिए एआई का उपयोग कर रहे हैं, जिससे उन्हें विज्ञापन खर्च में बचत होती है।

सरकार भी इस तकनीक को अपनाने की कोशिश कर रही है। भारत सरकार ने 2024 में ‘AI for All’ पहल शुरू की थी, जिसमें जनरेटिव एआई के नैतिक उपयोग, डेटा प्राइवेसी और कौशल विकास पर ध्यान दिया गया था। कई स्टेट एजेंसियों ने रिपोर्ट तैयार करने या नागरिक पूछताछ का उत्तर देने में एआई को इंटीग्रेट किया है।

अब बात करें कुछ चुनौतियों की – डेटा बायस, गलत जानकारी फैलने की संभावना और नौकरी के स्वरूप में बदलाव प्रमुख हैं। लेकिन अगर सही गवर्नेंस और शिक्षा प्रणाली के साथ इसे संभालें तो ये जोखिम कम हो सकते हैं। कई संस्थानों ने एआई एथिक्स कोर्स शुरू किए हैं ताकि युवा पेशेवर जिम्मेदार उपयोग सीख सकें।

अगर आप खुद इस लहर में कूदना चाहते हैं, तो शुरुआती तौर पर मुफ्त टूल्स जैसे चैटजीपीटी या कॉपी.ai इस्तेमाल कर सकते हैं। थोड़ी प्रैक्टिस के साथ आप अपने काम की गति दोगुनी देखेंगे – चाहे वह ब्लॉग लेखन हो या डेटा सारांश बनाना। याद रखिए, एआई सिर्फ़ एक सहायक है, असली क्रिएशन आपकी समझ और रचनात्मकता से ही आता है।

तो अगली बार जब आप “Generative AI” शब्द सुनें, तो इसे डरने की नहीं बल्कि सीखने का मौका मानें। इस तकनीक के साथ आप अपने काम को तेज़, सस्ते और ज्यादा स्मार्ट बना सकते हैं – बस सही टूल चुनिए और प्रयोग शुरू करिए।

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