Guru Purnima क्या है?

Guru Purnima एक ऐसा त्यौहार है जहाँ हम अपने गुरुओं को सम्मानित करते हैं। भारत में यह खासकर शैक्षिक और आध्यात्मिक गुरुयों के लिए मनाया जाता है, लेकिन कई लोग इसे सभी प्रकार के मार्गदर्शकों की कृतज्ञता दिखाने का दिन बनाते हैं।

हर साल इस त्यौहार को कार्तिक महीने की पूर्णिमा को रखा गया है। इसलिए इसे ‘कार्तिक पवन’ भी कहा जाता है। इस दिन सूर्य भगवान शंकर ने अपने पहले शिष्य नारद मुनि को ज्ञान दिया था, और यही कारण से यह दिन बहुत पवित्र माना जाता है।

गुरु पूर्णिमा का इतिहास

पुरानी कहानियों में बताया गया है कि विष्णु जी ने काली युग में दैत्यों के साथ लडते‑लडते अपने सभी ज्ञान को शंकर जी को दिया। शंकर जी फिर उस ज्ञान को नारद मुनि को सौंपी। इस घटना की याद में कार्तिक पूर्णिमा को गुरु पूजन का दिन बनाया गया।

वेदों, उपनिषदों और पुराणों में भी गुरु के महत्व को कई बार दोहराया गया है। इसलिए ही स्कूल‑कॉलेज के ग्रेजुएशन समारोह या किसी बड़े कार्य की शुरुआत में अक्सर गुरुओं को श्रद्धांजलि दी जाती है।

आधुनिक समय में गुरु पूजन कैसे करें

आजकल लोग इस दिन को घर‑परिवार और सामाजिक कार्यक्रमों में दो तरह से मनाते हैं। पहला तरीका है अपने शिक्षक या आध्यात्मिक गुरु को फूल, फल और मिठाई दे कर सम्मानित करना। दूसरा तरीका है ध्यान‑ध्यान करके अपने अंदर के ज्ञान को जगाना।

यदि आप स्कूल‑कॉलेज में पढ़ते हैं तो अपना पसंदीदा अध्यापक को एक धन्यवाद पत्र लिख सकते हैं या कक्षा में उनका नाम लेकर छोटे‑छोटे शाब्दिक आशीर्वाद दे सकते हैं। यह सरल कदम भी गुरु के प्रति आपका सच्चा सम्मान दिखाता है।

घर में पूजा करने वाले लोग गुरुदेव की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीपक जलाते हैं, धूप और चंदन का अरोमा लगाते हैं। फिर शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के समय एक छोटा सा प्रसाद तैयार करके उसे गुरु को अर्पित किया जाता है।

गुरु पूजन में सबसे जरूरी बात है इरादा—कि आप सच‑मुच अपने मार्गदर्शकों को धन्यवाद देना चाहते हैं। अगर आपका इरादा साफ़ है तो कोई भी साधारण विधि ही काम करती है।

कई लोग इस दिन सामाजिक कार्यों में हाथ बंटाते हैं, जैसे कि मुफ्त कक्षा या वर्कशॉप आयोजित करना। ऐसा करके आप अपने ज्ञान को दूसरों तक पहुंचा सकते हैं, जो गुरुओं की सबसे बड़ी पूर्ति भी कहा जाता है।

Guru Purnima के अवसर पर कई मंदिर और आश्रम विशेष कार्यक्रम रखते हैं। अगर आपके पास समय हो तो किसी आध्यात्मिक केंद्र में जाकर मौन ध्यान या काव्य पाठ सुनना भी फायदेमंद रहता है। इससे मन शांति पाता है और विचार साफ़ होते हैं।

ध्यान रखें कि गुरु का सम्मान सिर्फ एक दिन तक नहीं, बल्कि रोज‑रोज के छोटे‑छोटे कामों से दिखाया जाता है। इसलिए इस पूर्णिमा को यादगार बनाते हुए अपने दैनिक जीवन में भी गुरु की सिखाई बातों को लागू करने की कोशिश करें।

संक्षेप में कहा जाए तो Guru Purnima एक ऐसा दिन है जब हम अपने सभी मार्गदर्शकों—शिक्षक, पितामह, माता‑पिता, या आध्यात्मिक गुरुओं—को धन्यवाद कहते हैं और उनकी सीख को आगे बढ़ाते हैं। इस त्यौहार की सच्ची भावना यही है कि ज्ञान के प्रकाश को हर तरफ़ फैलाया जाए।

गुरु पूर्णिमा 2024: भावपूर्ण उद्धरण, शुभकामनाएं, संदेश व व्हाट्सएप स्थिति के माध्यम से इस पावन पर्व का उत्सव मनाएं

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गुरु पूर्णिमा 2024 को मनाने के लिए उद्धरण, शुभकामनाएं, छोटे संदेश, कैप्शन और व्हाट्सएप स्थिति के संपूर्ण संग्रह के साथ इस पावन पर्व का उत्सव मनाएं। यह पावन दिवस गुरुजनों और शिक्षकों के प्रति अपनी कृतज्ञता और सम्मान प्रकट करने के लिए समर्पित है।

  • जुल॰, 22 2024
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