लोकसभा स्पीकर: भूमिका, चुनाव और नवीनतम खबरें

अगर आप भारतीय राजनीति में दिलचस्पी रखते हैं तो लोकसभा स्पीकर का नाम सुनते ही दिमाग में कई सवाल आते हैं – असल में उनका काम क्या है? कैसे चुना जाता है वो? और अभी हालिया घटनाओं ने इस पद को क्यों चर्चा में लाया है? चलिए, इन सबका जवाब आसान भाषा में बताते हैं।

स्पीकर की मुख्य जिम्मेदारियां

लोकसभा स्पीकर का सबसे बड़ा काम संसद के अनुशासन को बनाए रखना है। जब सदस्य बहस करते हैं तो वह बारी‑बारी से बात सुनते हैं, टोकन (वर्डिंग) देते हैं और किसी भी अनैतिक व्यवहार को रोकते हैं। इसके अलावा वह विधेयकों की आवाज़ को रिकॉर्ड करके जनता तक पहुंचाते हैं, जिससे कानून बनना आसान हो जाता है।

स्पीकर न्यायसंगत रहना चाहिए – चाहे कोई विपक्षी पार्टी का सदस्य हो या सरकार के राजनेता। इसलिए उनका पद राजनीतिक दबाव से मुक्त माना जाता है और उन्हें संसद की कार्यवाही में अंतिम अधिकार होता है।

स्पीकर कैसे चुने जाते हैं?

स्पीकर का चयन सरल प्रक्रिया पर आधारित है। लोकसभा के सदस्यों को एक विशेष सत्र में वोट देना पड़ता है। यदि कोई उम्मीदवार 50 % से अधिक वोट पाता है, तो वह तुरंत स्पीकर बन जाता है। अगर पहले चरण में कोई पास नहीं होता, तो सबसे ज्यादा वोट वाले दो उम्मीदवारों के बीच फिर से मतदान किया जाता है। इस प्रक्रिया ने कई बार राजनीतिक गठजोड़ों को मजबूर कर दिया कि वे समझौता करें।

स्पीकर बनने के बाद उन्हें 5 साल का कार्यकाल मिलता है, पर अगर संसद भंग हो जाए तो उनका पद समाप्त नहीं होता – वह नई लोकसभा में भी वही बने रहते हैं जब तक नया स्पीकर नहीं चुना जाता। यह स्थिरता सुनिश्चित करती है कि संसद की प्रक्रिया बिना रुकावट जारी रहे।

हाल ही में कई प्रमुख खबरें इस पद को फिर से चर्चा में ले आईं। कुछ पार्टियों ने अपने वरिष्ठ नेताओं को उम्मीदवार बना कर सत्ता के संतुलन को मजबूत करने की कोशिश की, जबकि दूसरी ओर विपक्ष ने एक स्वतंत्र और निष्पक्ष व्यक्ति की मांग की। इन बहसों से यह साफ़ होता है कि स्पीकर का चयन अब सिर्फ औपचारिक नहीं रहा, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में रणनीतिक महत्व रखता है।

यदि आप लोकसभा स्पीकर के बारे में अपडेट चाहते हैं तो वन समाचार पर रोज़ नई खबरें मिलती रहती हैं – चाहे वह नियुक्ति प्रक्रिया हो या वर्तमान स्पीकर की कार्यशैली का विश्लेषण। हमारी रिपोर्ट्स आपको सरल भाषा में, बिना किसी जटिल शब्दों के, सटीक जानकारी देती हैं जिससे आप आसानी से समझ सकें कि संसद कैसे चलती है और आपका वोट किस दिशा में असर डालता है।

तो अगली बार जब आप समाचार देखेंगे तो स्पीकर की भूमिका को याद रखें – वह सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि भारत के लोकतंत्र का अहम हिस्सा है।

लोकसभा में राहुल गांधी और पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात, ओम बिड़ला को स्पीकर चेयर तक पहुँचाया

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने लोकसभा में हाथ मिलाया और लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को स्पीकर चेयर तक पहुँचाया। बिड़ला को एनडीए उम्मीदवार के रूप में चुना गया। इस चुनाव के लिए मतगणना नहीं हुई और उन्हें सदन की सर्वसम्मति से स्पीकर चुना गया।

  • जून, 26 2024
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