लोकसभा में राहुल गांधी और पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात, ओम बिड़ला को स्पीकर चेयर तक पहुँचाया
लोकसभा में ऐतिहासिक दिन: राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी की मुलाकात
लोकसभा में आज एक ऐतिहासिक पल देखने को मिला जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक दूसरे से हाथ मिलाया और स्पीकर चेयर तक ओम बिड़ला को अपने साथ लेकर गए। इस घड़ी ने संसद में एक नई धारा को जन्म दिया, जहां राजनीतिक विरोधी नेता एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे।
लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला का निर्विवाद चुनाव
ओम बिड़ला, एनडीए के उम्मीदवार, को लोकसभा का स्पीकर चुना गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक प्रस्ताव पेश किया जिसे ध्वनि मत से पारित किया गया। विपक्ष ने कांग्रेस सदस्य के. सुरेश को अपने उम्मीदवार के रूप में खड़ा किया था। प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब ने बिड़ला को स्पीकर के रूप में घोषित किया और विपक्ष ने मत विभाजन के लिए जोर नहीं दिया। ओम बिड़ला ने राजस्थान के कोटा से तीसरी बार सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया और वह 1985 में बलराम जाखड़ के बाद दो पूर्ण कार्यकाल पाने वाले दूसरे लोकसभा स्पीकर बने।
लोकतंत्र की प्रगाढ़िता का प्रतीक
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में विपक्ष को बोलने का अधिक मौका देने की वकालत की। एनसीपी-सुप्रीमो सुप्रिया सुले और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने बिड़ला को बधाई दी और उम्मीद जताई कि विपक्षी सदस्यों की आवाज़ को दबाया नहीं जाएगा। इस चुनाव के दौरान विपक्ष ने यह भी मांग की कि उप-स्पीकर का पद भी विपक्षी दलों को दिया जाए, जो कि परंपरागत रूप से सहमति से होता रहा है, लेकिन इस बार यह प्रस्ताव विवादित हो गया।
लोकसभा के सदस्य और उनकी जिम्मेदारियाँ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने ओम बिड़ला को स्पीकर की चेयर तक पहुँचाया। इस अवसर पर संसद के सभी सदस्यों ने एक नई उम्मीद के साथ अपने कर्तव्यों को निभाने का संकल्प लिया।
इस प्रकार, आज लोकसभा में यह दृश्य न केवल भारतीय लोकतंत्र की मजबूती की मिसाल बना, बल्कि यह भी साबित किया कि कैसे आपसी सहयोग और संसदीय सद्भावना से देश एक मजबूत और सुदृढ़ लोकतंत्र की ओर अग्रसर हो सकता है।
आशा और अपेक्षाएँ
विपक्ष के नेताओं ने यह उम्मीद जताई कि बिड़ला के नेतृत्व में लोकसभा में सभी सदस्यों की आवाज को समान रूप से सुना जाएगा और किसी की भी आवाज़ को दबाया नहीं जाएगा। इस कार्यक्रम ने राजनैतिक परिस्थितियों को एक नया आयाम देने का काम किया, जिससे आने वाले दिनों में संसद और देश को लाभ प्राप्त हो सकता है।
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