मदर टेरेसा का जन्मदिन मानते हुए, यह लेख बताता है कि कैसे उनकी एक मूल्यवान सलाह ने पूर्व भारतीय क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू की जिंदगी बदल दी। मदर टेरेसा की शिक्षाएँ सिद्धू के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गईं, जो उन्हें कठिन परिस्थितियों से बाहर निकालने में मददगार साबित हुईं।
मदर टेरेसा: निःस्वार्थ सेवा की मिसाल
क्या आपने कभी सोचा है कि एक साधारण इंसान भी पूरे संसार में बदलाव ला सकता है? मदर टेरेसा ने यही किया। उनका नाम सुनते ही दया, मदद और सच्ची मानवता याद आती है। आज हम उनके बचपन से लेकर भारत में उनकी सेवाओं तक का सफ़र सरल शब्दों में देखेंगे, ताकि आप समझ सकें कि उनकी सोच हमें अभी भी क्यों प्रेरित करती है।
बचपन से मिशन तक
मदर टेरेसा 1910 में आज के स्कोपेज, मैसिडोनिया (अब कोसोवो) में एक रोमन कैथोलिक परिवार में जन्मीं। उनका असली नाम गोरजया बाओजियु था। छोटी उम्र से ही वह गरीबों की मदद करना पसंद करती थीं – स्कूल में जो भी बच्चा भूखा रहता, उसे खाने के लिए कुछ देतीं। 18 साल की उम्र में उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई पूरी कर ‘सेन्ट एंटोनियो’ कॉन्वेंट में प्रवेश लिया और फिर भारत चले आए।
भारत में कालीकट (कोलकाता) पहुंचकर वह सैकड़ों गरीब बच्चों के बीच काम करने लगीं। एक बार रात में उन्होंने एक बेघर माँ को देखा जो अपने नवजात शिशु को लटके हुए तारे की तरह देख रही थी। उसी क्षण उन्हें पता चल गया कि उनका असली मिशन यहाँ शुरू होना चाहिए – जरूरतमंदों को घर देना, खाना खिलाना और सम्मान दिलाना।
आज भी उनका प्रभाव
1948 में उन्होंने ‘मैरी मदर’ नाम की संस्था बनाई, जिसने आज लाखों लोगों को मदद पहुंचाई है। अस्पताल, स्कूल, अनाथाश्रम – सभी जगह उनकी छाप दिखती है। उनके काम को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला था।
उनकी कहानी सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की जिंदगी में लागू होने वाला एक सिद्धांत है: छोटा-सा कदम भी बड़ा बदलाव ला सकता है। अगर आप अपने पड़ोसी को मदद कर सकते हैं या स्थानीय आश्रय स्थल में कुछ दान दे सकते हैं, तो वही उनकी सेवा का सार है।
अक्सर लोग पूछते हैं – क्या हम सभी बड़े काम कर सकते हैं? जवाब है हाँ, बस इरादा और छोटे-छोटे कदम जरूरी हैं। मदर टेरेसा ने यही दिखाया कि प्यार और दया से बड़ा कोई हथियार नहीं। उनकी शिक्षाएँ आज भी स्कूलों में पढ़ाई जाती हैं और कई युवा स्वयंसेवी संगठनों की प्रेरणा बनती हैं।
अगर आप उनके जीवन से कुछ सीखना चाहते हैं, तो रोज़ एक छोटा-सा कार्य चुनें – चाहे वो सड़क पर गंदगी साफ करना हो या किसी बूढ़े को सहारा देना। इस तरह की छोटी‑छोटी आदतें धीरे‑धीरे आपके आसपास के माहौल को बदल देंगी और मदर टेरेसा जैसी सेवा का संदेश आगे बढ़ेगा।