टैरिफ की चिंता ने खींची भारतीय बाजार की लकीर, Sensex गिरा 733 अंक, Nifty 24,700 से नीचे

टैरिफ की चिंता ने खींची भारतीय बाजार की लकीर, Sensex गिरा 733 अंक, Nifty 24,700 से नीचे
  • सित॰, 27 2025

क्या आपको याद है कि 26 सितंबर को Sensex ने एक ही सत्र में 733 अंक गिरा दिया? ऐसा तब हुआ जब अमेरिकी टैरिफ नीति ने भारतीय बाजार को सीधा चाकू घुसा। इस दिन के आँकड़े देख कर समझ में आता है कि कैसे एक विदेश में घोषणा पूरी भारतीय इक्विटी सर्कल को हिला सकती है।

टैरिफ शॉक और उसके दो मुख्य दुष्प्रभाव

सबसे पहले बात करते हैं अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा प्रस्तुत 100% टैरिफ की। उन्होंने ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर इस तरह का पूरा टैक्स लगाने की घोषणा की। इस खबर ने फ़ार्मा सेक्टर को बुरी तरह झकझोर दिया। Sun Pharma, Dr. Reddy’s और कई छोटे‑मोटे दवा निर्माताओं की शेयर कीमतें गिरावट के रुझान में आ गईं, औसतन 2‑2.5% का नुकसान।

दूसरा असर Accenture की ताज़ा क्वार्टरली रिज़ल्ट से आया। कंपनी ने डिमांड रिकवरी को ‘पैचि’ बताया, जिससे आईटी इंडस्ट्री पर नकारात्मक साया पड़ गया। Nifty IT इंडेक्स भी 2‑2.5% गिरा, और कई बड़े आईटी नाम—TCS, Infosys, Wipro—की कीमतें नीचे उतर गईं। इन दो बड़े कारणों ने मिल कर बाजार में बेचैनी को हवा दी।

बाजारी माहौल, सेक्टरल उलटफेर और छोटे‑बड़े कैप की प्रतिक्रिया

बाजारी माहौल, सेक्टरल उलटफेर और छोटे‑बड़े कैप की प्रतिक्रिया

बाज़ार के ब्रोडनेस पर एक नज़र डालें तो 2,828 शेयर नीचे बंद हुए, जबकि केवल 912 ही ऊपर गए। कुल मिलाकर Nifty 500 में 459 स्टॉक्स ने लाल कैंडल बंद किया। मतलब, हर तरफ़ बेचने का दबाव था।

सभी सेक्टरल इंडेक्स नीचे रहे। बैंकिंग, कैपिटल गुड्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, मेटल, टेलीकॉम, PSU बैंक्स—हर एक ने 1‑2% तक गिरावट दर्ज की। Bank Nifty भी 1.07% गिरकर 54,797 पर बंद हुआ।

व्यक्तिगत स्टॉक्स की सूची पर नज़र डालें तो IndusInd Bank, Sun Pharma, Mahindra & Mahindra, Eternal और Tata Steel सबसे बड़े नुकसान के नाम थे। वहीं कुछ शेयरों ने थोड़ी रुकावट दिखायी—Larsen & Toubro, Tata Motors, Eicher Motors, Reliance Industries और ITC ने थोड़ा‑बहुत टेकऑफ़ किया।

बाजार के व्यापक भाग—midcap और smallcap—में तो और भी गहरी गिरावट देखी गई। BSE Midcap 100 ने 2.05% और Smallcap 100 ने 2.26% का नुकसान झेला। छोटे संस्थागत निवेशकों के लिए भी यह महीना मुश्किल बन गया।

रुपए की स्थिति भी निराशाजनक रही। डॉलर के कमजोर होने के बावजूद भारतीय रुपया 88.70 के करीब रिकॉर्ड लो ज्वेल पर टिक रहा। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का निरंतर निकास, अमेरिकी टैरिफ और वैज़ा शुल्क में बढ़ोतरी ने इस दबाव को बढ़ाया।

वॉलैटिलिटी इंडेक्स (India VIX) ने 6.03% की बढ़ोतरी के साथ 10.78 पर पहुंचा, जिससे निवेशकों में असुरक्षा की भावना स्पष्ट हुई। इस दौरान गोल्ड फ्यूचर्स ने 0.24% की सूक्ष्म बढ़ोतरी की, जबकि क्रूड तेल की कीमत 0.40% गिर गई।

विशेषज्ञों के अनुसार, SBI Securities के हेड‑टेक्निकल रिसर्च – सुदीप शाह ने बताया कि टैरिफ‑शंकाएं और कमजोर ग्लोबल संकेत बाजार की गिरावट के मुख्य कारण हैं। Nifty ने key support level टूटते हुए और भी नीचे गिरना जारी रखा।

आगे देखते हुए, क्या भारतीय निवेशकों के लिए इस सर्दी में और अधिक ‘सेल‑ऑफ़’ सतह पर आएगा? या फिर घरेलू नीतियों और वैकल्पिक निवेश विकल्पों का समुचित संतुलन इस गिरावट को रोक पाएगा? समय ही बतायेगा, पर अभी के लिए, निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए और पोर्टफोलियो में विविधता लाने पर गौर करना चाहिए।

7 टिप्पणि
  • Dr Dharmendra Singh
    Dr Dharmendra Singh सितंबर 27, 2025 AT 19:03

    ये गिरावट तो बस एक झटका है, बाजार तो हमेशा ऊपर-नीचे होता है। अभी तो घरेलू डिमांड मजबूत है, अमेरिका की टैरिफ से डरने की जरूरत नहीं। थोड़ा धैर्य रखो, अच्छा समय आएगा 😊

  • sameer mulla
    sameer mulla सितंबर 29, 2025 AT 00:01

    अरे भाई ये सब बकवास है! जो लोग बाजार में पैसा डालते हैं वो जानते हैं कि अमेरिका हमारे लिए दुश्मन है! टैरिफ नहीं तो कुछ और निकाल देंगे! ये सब एक धोखा है जो हमें बेचारों को बेच रहा है! अभी तो बाजार में लोग घूंट भर नहीं पी पाए! 😡

  • Pooja Raghu
    Pooja Raghu सितंबर 30, 2025 AT 19:07

    ये सब अमेरिका का षड्यंत्र है जो भारत को धीरे-धीरे तोड़ रहा है। रुपया गिर रहा है, दवाएं नहीं बेच पा रहे, आईटी कंपनियां डर रही हैं... ये सब एक बड़ी चाल है जिसका उद्देश्य हमारी आर्थिक आत्मनिर्भरता को मारना है। क्या कोई सोचता है कि ये सब किसने शुरू किया? 😳

  • Pooja Yadav
    Pooja Yadav अक्तूबर 2, 2025 AT 11:59

    मुझे लगता है कि अभी तो बस एक तापमान कम हुआ है बाजार का। अच्छी बात ये है कि रिलायंस और आईटीसी ने टिके रहने की कोशिश की। शायद इस वक्त निवेश करने का बेहतरीन मौका है। बस एक चीज़ याद रखो - बाजार कभी नहीं रुकता, बस रुकने का नाटक करता है 😊

  • Pooja Prabhakar
    Pooja Prabhakar अक्तूबर 4, 2025 AT 03:09

    ये गिरावट बिल्कुल अनिवार्य थी। भारत का बाजार अब तक बहुत अधिक ऊंचाई पर था, अमेरिका की टैरिफ ने बस एक थोड़ा सा नियंत्रण लगा दिया। लेकिन अगर आप गहराई से देखें तो फार्मा सेक्टर का नुकसान बहुत बड़ा है क्योंकि उनकी डिमांड का 40% अमेरिका पर निर्भर है। और आईटी सेक्टर? वो तो अब बस एक अतीत की कहानी है। नए डिजिटल निवेश अभी बन रहे हैं लेकिन उनकी गति बहुत धीमी है। इसलिए निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में एल्टरनेटिव एसेट्स जैसे गोल्ड, रियल एस्टेट या यहां तक कि डिजिटल करेंसी शामिल करनी चाहिए। और ये बात बहुत जरूरी है कि आप जानें कि भारतीय बैंकिंग सेक्टर अभी भी अपनी लोन पोर्टफोलियो को बेहतर तरीके से मैनेज नहीं कर पा रहा है। और अगर आपको लगता है कि रुपया अभी तक गिरा है तो आप गलत हैं - ये तो अभी शुरुआत है। अगले 3 महीने में ये 90 तक पहुंच सकता है। और ये सब बिना किसी बातचीत के हो रहा है।

  • Anadi Gupta
    Anadi Gupta अक्तूबर 4, 2025 AT 07:54

    इस घटना के विश्लेषण में एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि भारतीय बाजार की गतिशीलता अब वैश्विक आर्थिक नीतियों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो गई है। विशेष रूप से टैरिफ नीति के तहत फार्मा और आईटी क्षेत्र के बाहरी आय के स्रोतों पर असर पड़ा है जिसके कारण निवेशकों में अविश्वास की भावना फैली है। इसके अलावा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के निकास की दर बढ़ने से रुपया की मूल्य स्थिरता भी प्रभावित हुई है। इस स्थिति में निवेशकों को अपने निवेश नीतियों को पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए और लघु और मध्यम आकार के स्टॉक्स में अत्यधिक जोखिम नहीं लेना चाहिए। यह एक व्यापक आर्थिक चुनौती है जिसका समाधान शुद्ध बाजार तंत्र से नहीं बल्कि सरकारी नीतिगत दखल के माध्यम से ही संभव है।

  • shivani Rajput
    shivani Rajput अक्तूबर 5, 2025 AT 06:47

    ये सब बस एक दिखावा है। असली दिक्कत तो ये है कि भारत अपने अंदर के नियमों को नहीं बदल रहा। टैरिफ नहीं, नियमों की अनिश्चितता है जो बाजार को तोड़ रही है। अगर आप अमेरिका को दोष देते हैं तो आप अपने आप को धोखा दे रहे हैं। यहां निवेश करने वाले लोग अपने पोर्टफोलियो में बहुत ज्यादा एक ही चीज़ में लगे हैं। बाजार गिरा तो डर गए। अगर आप निवेश करते हैं तो आपको ये जानना चाहिए कि गिरावट भी एक रिस्क है। अब तो बस इंतजार करो - जब तक भारतीय नियम नहीं बदलेंगे, तब तक ये चक्र दोहराया जाएगा।

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