हाथरस भगदड़: उत्तर प्रदेश सरकारी अधिकारी का पत्र त्रासदी का वर्णन करता है

हाथरस भगदड़: उत्तर प्रदेश सरकारी अधिकारी का पत्र त्रासदी का वर्णन करता है
  • जुल॰, 3 2024

हाथरस भगदड़ की विवेचना

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के फूलारी गांव में आयोजित धार्मिक 'सत्संग' कार्यक्रम में हुई दिल दहला देने वाली भगदड़ का विवरण हाथरस के सब-डिविजनल मैजिस्ट्रेट सिकंद्रा राव के एक पत्र में सामने आया है। यह भगदड़ उस समय हुई जब सत्संग कार्यक्रम के आयोजक और स्वघोषित गुरु नारायण सकार हरि उर्फ 'भले बाबा' की उपस्थिति में दो लाख से अधिक लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई थी।

कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण

फूलारी गांव में यह सत्संग कार्यक्रम गुरुवार को आयोजित किया गया था, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु भले बाबा के दर्शनों और आशीर्वाद के लिए आए थे। कार्यक्रम के दौरान भले बाबा का हर व्यक्तित्व और वेग से सभी श्रद्धालु प्रभावित हुए और उनका एक झलक पाने के लिए तड़पने लगे।

कार्यक्रम के समापन के बाद जब भले बाबा अपने वाहन की ओर बढ़े और वहां से जाने की तैयारी करने लगे, तभी वे सभी श्रद्धालु, जिनमें पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल थे, उनकी ओर दौड़ पड़े। आशीर्वाद की चाहत में इस भीड़ ने शीघ्रता प्राप्त की और अनियंत्रित हो गयी।

भगदड़ का आरंभ

भले बाबा की ओर रुख करने वाली भीड़ ने सुरक्षा कर्मियों और सेवकों को इतना मौके नहीं दिया कि वे उन्हें सुरक्षित पतले। इस समय सुरक्षा कर्मियों द्वारा धक्का-मुक्की की जाने लगी। इस उग्र भीड़ में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे जो हालात के भय से वहां से भागने लगे। भगदड़ के दौरान कई श्रद्धालु गिर गए और उन पर दूसरी भीड़ चढ़ती चली गई।

त्रासदी का मूल कारण

भले बाबा के प्रति श्रद्धा ही वह मूल कारण रहा जिसने इस कार्यक्रम को इस कदर भयानक स्थिति में बदल दिया। सुरक्षा कर्मियों और आयोजकों की लापरवाही ने इस भगदड़ को रोकने के लिए कोई माकूल व्यवस्था नहीं कर रखी थी। सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के अभाव का परिणाम इस त्रासदी के रूप में देखने को मिला।

पीड़ितों की सहायता

घटना के तुरंत बाद स्थानीय प्रशासन ने तत्परता दिखाई और घायलों को निकटतम अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भेजा गया। প্রায় 121 लोगों की मृत्यु हो गई जिनमें से 89 को मौके पर ही मृत घोषित कर दिया गया और 27 अन्य की मृत्यु की पुष्टि इटाह जिले में हुई। कुल 23 लोग घायल हुए, जिनमें से कइयों का इलाज बंगलापुर अस्पताल, हाथरस, पंडित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल, अलीगढ़, और जेएनएमसी, अलीगढ़ में किया जा रहा है।

alerts and precautions

alerts and precautions

इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को आगे आकर भीड़ प्रबंधन की व्यवस्था करनी चाहिए। इसके साथ ही, जैसे कार्यक्रमों में सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए।

भले बाबा के इस कार्यक्रम में घटित हुई यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना न केवल हमें सीख देती है कि किसी भी स्थिति में भीड़ पर नियंत्रण और सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी याद दिलाती है कि धार्मिक आयोजनों का संचालन और सुरक्षा प्रबंधन दोनों एक साथ होना चाहिए।

10 टिप्पणि
  • DIVYA JAGADISH
    DIVYA JAGADISH जुलाई 4, 2024 AT 05:57
    ये तो बस एक और त्रासदी है जिसमें भीड़ की भावना ने इंसानियत को दबा दिया।
    कोई नियंत्रण नहीं, कोई योजना नहीं, बस भक्ति का झोंका।
  • Amal Kiran
    Amal Kiran जुलाई 5, 2024 AT 11:45
    फिर से एक गुरु जिसकी तस्वीर देखकर लोग मर जाते हैं। इनकी नींद खराब हो गई क्या? जब तक भक्ति को अंधविश्वास नहीं समझेंगे, ऐसी घटनाएं बंद नहीं होंगी।
  • abhinav anand
    abhinav anand जुलाई 6, 2024 AT 16:24
    इस तरह की घटनाओं में शायद ही कोई वास्तविक दोषी होता है।
    सब कुछ एक अज्ञात भय और आशा के बीच टूट जाता है।
    हम सब उसी भीड़ के हिस्से हैं, बस अलग जगह पर खड़े हैं।
  • Rinku Kumar
    Rinku Kumar जुलाई 7, 2024 AT 18:31
    अरे भाई, भले बाबा को भगवान बना दिया, फिर भीड़ को नियंत्रित करने का दबदबा कहाँ है? सरकार का एक नियम भी नहीं बना, बस एक बयान और फिर भूल जाना।
    ये सब तो सिर्फ टीवी पर दिखाने के लिए है।
  • Pramod Lodha
    Pramod Lodha जुलाई 9, 2024 AT 03:58
    हाँ, ये बहुत दुखद है।
    लेकिन अब इससे सीख लें।
    अगली बार किसी भी धार्मिक इकाई के लिए भीड़ के लिए लाइसेंस लगाना चाहिए।
    कम से कम 10 सुरक्षा कर्मी प्रति 5000 लोग।
    अगर ये नहीं हुआ तो फिर भी ऐसा ही होगा।
    हम सब इसे बदल सकते हैं।
    बस शुरुआत करो।
  • Neha Kulkarni
    Neha Kulkarni जुलाई 10, 2024 AT 11:29
    इस घटना में एक अतिसंवेदनशील अंतराल उजागर हुआ है - जहाँ आध्यात्मिक आकांक्षा एक असंगठित अभिव्यक्ति में बदल जाती है, जिसका नियंत्रण तकनीकी और सामाजिक ढांचों के अभाव में संभव नहीं होता।
    सुरक्षा व्यवस्था तो बस एक ट्रिगर है, लेकिन मूल समस्या तो वह असंतुलन है जो व्यक्ति को अपने आप को एक संदेश के अधीन कर देता है।
    हम यहाँ न केवल एक भीड़ के बारे में बात कर रहे हैं, बल्कि एक सामाजिक अवसाद के बारे में जिसमें लोग अपनी पहचान एक व्यक्ति के चरित्र में खो देते हैं।
    इसका उत्तर नीति नहीं, बल्कि शिक्षा है।
    सामाजिक साक्षरता का अभाव ही यहाँ वास्तविक रूप से निकाल देता है।
  • Sini Balachandran
    Sini Balachandran जुलाई 11, 2024 AT 23:34
    क्या हम वाकई जानते हैं कि हम किसके लिए दौड़ रहे हैं?
    क्या वो बाबा वाकई हमारी मुक्ति लाएगा?
    या हम बस अपने डर को एक चेहरा दे रहे हैं?
  • Sanjay Mishra
    Sanjay Mishra जुलाई 12, 2024 AT 05:17
    अरे भाई, ये तो बस एक बड़ा बॉलीवुड ड्रामा है जिसमें भक्ति की भूमिका में अभिनय कर रहे हैं और मौत का सीन रियलिटी शो बन गया!
    भले बाबा ने अपनी चादर उठाई, लोगों ने उसकी चादर पर चढ़ दिया।
    अब ये तो देखो, इंसान बनने की जगह भेड़ बन गए।
    एक तरफ गुरु का बयान, दूसरी तरफ दफनाने की गिनती।
    ये देश है या अंधेरे का थिएटर?
  • Ashish Perchani
    Ashish Perchani जुलाई 12, 2024 AT 13:29
    मैं इस घटना के लिए जिम्मेदारी स्वीकार करता हूँ।
    सरकारी अधिकारी के पत्र को देखकर मैंने अपने आप को भी जांचा।
    क्या हमने कभी किसी भीड़ में अपने बच्चे का हाथ नहीं छोड़ा?
    क्या हमने कभी एक आयोजन के लिए सुरक्षा जांच नहीं की?
    हम सब यहाँ शिकायत कर रहे हैं, लेकिन क्या हम खुद भी एक भाग बन रहे हैं?
    ये त्रासदी बस एक बाबा की नहीं, हमारी लापरवाही की है।
    हमें बस एक बार खुद को देखना होगा।
  • Dr Dharmendra Singh
    Dr Dharmendra Singh जुलाई 14, 2024 AT 04:32
    बहुत दुखद है 😢
    लेकिन हम अगली बार बेहतर हो सकते हैं।
    एक बार भीड़ में जाने से पहले एक बार सोच लें।
    हम सब एक साथ बदल सकते हैं 💪
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