बांग्लादेश संकट: शेख हसीना की बर्खास्तगी से भारत-बांग्लादेश संबंधों में नया मोड़

बांग्लादेश संकट: शेख हसीना की बर्खास्तगी से भारत-बांग्लादेश संबंधों में नया मोड़
  • अग॰, 7 2024

बांग्लादेश संकट और शेख हसीना की बर्खास्तगी

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की हालिया बर्खास्तगी ने भारत और बांग्लादेश के बीच के संबंधों को एक महत्वपूर्ण मोड़ पर ला खड़ा किया है। हसीना की लंबे समय से चली आ रही सत्ता का अंत न केवल देश की राजनीति में बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी भारी बदलाव लाने का संकेत है। हसीना, जो अपने समय में प्रभावशाली नेता मानी जाती थीं, उनके हटने से बांग्लादेश की राजनीति में नए समीकरण बनने लगे हैं।

संख्या में हजारों लोगों द्वारा सुर्खियों में आईं हालिया विरोध प्रदर्शन के दौरान, लोगों ने व्यापक रूप से भारत के समर्थन वाली हसीना सरकार के खिलाफ आवाज उठाई। यह स्थिति भारत के लिए अत्यधिक असुविधाजनक है, क्योंकि लंबे समय से हसीना के साथ अपने मजबूत रिश्तों के कारण, भारत ने बांग्लादेशी विपक्षी दलों के साथ संबंध बनाने में कम ध्यान दिया था। इस नई सरकार के सामने चुनौतीपूर्ण India को उन संबंधों को मजबूत करना है, जिससे द्विपक्षीय सहयोग और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा मिल सके।

अंतरिम सरकार और चुनाव की असमंजस्यता

बांग्लादेश में नई अंतरिम सरकार की स्थिति अभी तक साफ नहीं हुई है। चुनावों की दिशा और समयसीमा को लेकर भी स्पष्टता का अभाव है। इस अस्थिरता ने भारत-बांग्लादेश संबंधों पर और अधिक अनिश्चितता की छाया डाली है, जिससे व्यापार, सुरक्षा और औद्योगिक संविदाओं पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।

भारत को यहां एक मजबूत और नैतिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। अस्थिर राजनीतिक परिदृश्य में भी, भारत को इस नई सरकार से संवाद बनाने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए समर्थन देने का अवसर लेना चाहिए। इस दिशा में कदम बढ़ाकर, भारत अपने पड़ोसी देश में एक स्थिर और सकारात्मक भागीदार की छवि को और मजबूत कर सकता है।

भारत-विरोधी भावना और चुनौती

भारत-विरोधी भावना और चुनौती

हसीना के खिलाफ उठी विरोधी मुद्राओं में भारत-विरोधी भावना का भी प्रमुख योगदान रहा। कई प्रदर्शनकारियों ने इस बात पर बल दिया कि हसीना सरकार भारत के समर्थन के बिना अस्तित्व में नहीं रहती। यह भावना भारत के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाती है और नए सरकार के साथ भारत के संबंधों को गंभीर संदेह के घेरे में डालती है।

इस नई परिस्थिति में, भारत को अपने राजनयिक प्रयासों को तेज और कुशल बनाने की आवश्यकता है। जमीनी स्तर पर व्यापक सोच और जुटाब से ही भारत इस नकारात्मक दृष्टिकोण को बदल सकता है। नई सरकार और नागरिक समाज के साथ खुली वार्तालाप और मैत्रीपूर्ण सहयोग से, भारत की छवि में सुधार किया जा सकता है।

परिवहन और लॉजिस्टिक चुनौती

बांग्लादेश के माध्यम से पूर्वोत्तर भारत के लिए महत्वपूर्ण परिवहन और ट्रांसशिपमेंट व्यवस्था भी खतरे में है। ये व्यवस्थाएं भारत के आर्थिक और सामरिक हितों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इस संकट के समय में, भारत को नए सरकार के साथ इन समझौतों को सुरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि ये रास्ते खुले और सुरक्षित रहें, भारत को विभिन्न मोर्चों पर सक्रिय रूप से काम करना होगा। आर्थिक संधियों और सुरक्षा संवीधियों को पुनः स्थापित करने और उन्हें मजबूत करने के लिए, भारत को अपने विशेषज्ञों और अधिकारियों के माध्यम से खुली वार्ता करनी होगी।

जमात-ए-इस्लामी का प्रभाव और पाकिस्तान का खतरा

जमात-ए-इस्लामी का प्रभाव और पाकिस्तान का खतरा

अंतरिम सरकार में जमात-ए-इस्लामी का प्रभाव बढ़ने का संभावना है। यह स्थिति भारत के लिए एक नई चुनौती को जाहिर करती है, क्योंकि पाकिस्तान की बांग्लादेश में संभावित वृद्धि ने हमेशा से ही भारत की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाया है। जमात-ए-इस्लामी के बढ़ते प्रभाव से पाकिस्तान की भूमिका के प्रभाव को भी बढ़ावा मिल सकता है, जो भारत के हितों के खिलाफ कार्य कर सकता है।

भारत को इस स्थिति पर गंभीर निगरानी रखने और जमात-ए-इस्लामी के प्रभाव को संतुलित करने के लिए सक्रिय प्रयास करने की आवश्यकता है। इस दिशा में, भारत को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से समर्थन प्राप्त करने और अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए खुद को सशक्त बनाना होगा।

चीन की प्रतिस्पर्धा और रणनीतिक चुनौती

इस बीच, चीन बांग्लादेश में अपने सामरिक और आर्थिक प्रभाव को बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से प्रयासरत है। चीन की इस आक्रामक नीति ने भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक चुनौती प्रस्तुत की है। भारत को इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए निवेश और सहयोग का विस्तार करने की आवश्यकता है, जिससे चीन की बढ़ती शक्ति और प्रतिस्पर्धा को संतुलित किया जा सके।

ऐसे में भारत को अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक और राजनीतिक कदम उठाने होंगे। विभिन्न परियोजनाओं में निवेश बढ़ाना, बांग्लादेश में असाधारण नौवहन समझौतों को मजबूत करना और सांस्कृतिक संबंधों को पुनः प्रतिबिंबित करना, भारत के लिए आवश्यक कदम हैं।

निष्कर्ष

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की बर्खास्तगी ने भारत-बांग्लादेश संबंधों में महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया है। राजनीतिक अस्थिरता और भारत विरोधी भावना ने इस संकट को और बढ़ाया है। भारत को नई सरकार के साथ सामरिक और आर्थिक संबंधों को सुरक्षित और मजबूत करने के लिए अपने राजनयिक प्रयासों को तेज करना चाहिए। इसके अलावा, चीन और पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए सामरिक कदम उठाने की भी आवश्यकता है। अस्थिरता के इस दौर में, भारत का नेतृत्व मजबूत और नैतिक दृष्टिकोण से ही इस संकट का सामना कर सकता है।

9 टिप्पणि
  • Sanjay Mishra
    Sanjay Mishra अगस्त 7, 2024 AT 19:10

    अरे भाई, हसीना के जाने के बाद बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी का बोलबाला हो गया है, ये तो अब पाकिस्तान का नया फ्रंट बन गया! भारत को अब बस बैठे रहना नहीं, बल्कि तुरंत एक्शन लेना होगा। नहीं तो अगले 6 महीने में बंगाल के तट पर चीन के नौसैनिक अड्डे दिखने लगेंगे।

  • Ashish Perchani
    Ashish Perchani अगस्त 9, 2024 AT 09:31

    मैं तो सोच रहा था कि भारत ने हसीना को सपोर्ट किया था, लेकिन अब जब वो गिर गई, तो लोगों ने भारत को भी टारगेट करना शुरू कर दिया। ये राजनीति का खेल है, जिसमें दोस्त बनते हैं, और दुश्मन बन जाते हैं। भारत को अब नए लीडर्स के साथ बातचीत शुरू करनी होगी, नहीं तो व्यापार और ट्रांसशिपमेंट रुक जाएगा।

  • Dr Dharmendra Singh
    Dr Dharmendra Singh अगस्त 9, 2024 AT 21:57

    हमें उम्मीद रखनी चाहिए। नई सरकार भी लोकतंत्र को समझेगी। भारत का शांतिपूर्ण और सहयोगी रवैया ही इस संकट का समाधान है। 🙏

  • sameer mulla
    sameer mulla अगस्त 10, 2024 AT 09:32

    अरे यार, तुम सब बहुत शांत बैठे हो लेकिन चीन और पाकिस्तान तो बांग्लादेश में घुस चुके हैं! भारत के विदेश मंत्री कहाँ हैं? उन्हें तुरंत ढाका भेजना चाहिए, नहीं तो अगले हफ्ते बांग्लादेश में पाकिस्तानी टैंक दिखेंगे! और ये जमात-ए-इस्लामी वाले तो आतंकवादी हैं, भारत को उन्हें टारगेट करना चाहिए!

  • Prakash Sachwani
    Prakash Sachwani अगस्त 10, 2024 AT 16:07

    हसीना गई तो क्या हुआ अब नया आया तो भारत को उसके साथ बात करनी होगी बस

  • Pooja Raghu
    Pooja Raghu अगस्त 11, 2024 AT 08:32

    ये सब भारत की साजिश है। हसीना को हटाने के लिए भारत ने बांग्लादेश में विरोध फैलाया। ये तो राजनीतिक हत्यारे हैं। अब चीन और पाकिस्तान को भी भारत ने बुलाया है ताकि बांग्लादेश पर कब्जा कर सकें।

  • Pooja Yadav
    Pooja Yadav अगस्त 11, 2024 AT 19:13

    मुझे लगता है भारत को अब नए नेताओं के साथ बातचीत शुरू करनी चाहिए और बांग्लादेश के लोगों के साथ दोस्ती बनानी चाहिए। ये सब राजनीति तो बहुत बड़ी है लेकिन आम आदमी को तो शांति चाहिए

  • Pooja Prabhakar
    Pooja Prabhakar अगस्त 13, 2024 AT 12:59

    तुम सब बहुत गहराई से सोच रहे हो लेकिन तुमने ये नहीं देखा कि जमात-ए-इस्लामी के साथ जुड़े हुए जैसे बांग्लादेशी जनरल्स और बैंकर्स भारत के खिलाफ एक गुप्त नेटवर्क बना रहे हैं। चीन के साथ इनकी डील्स तो पहले से ही हो चुकी हैं। बांग्लादेश में नौसैनिक बेस के लिए जमीन भी दे दी गई है। भारत के विदेश मंत्री के पास ये सारी जानकारी है लेकिन वो चुप हैं। क्यों? क्योंकि उनके ऊपर किसी ने दबाव डाला है। और तुम लोग अभी भी सोच रहे हो कि बातचीत से सब ठीक हो जाएगा? ये तो एक बड़ा बेवकूफी है। भारत को अब अपनी सीमाओं पर बर्ड एयर डिफेंस सिस्टम लगाना चाहिए, बांग्लादेश के साथ बातचीत करने के बजाय अपने देश की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए। और हाँ, तुम जो भी कह रहे हो वो सब एक बड़ा धोखा है।

  • Anadi Gupta
    Anadi Gupta अगस्त 13, 2024 AT 16:40

    मैं अपने विश्लेषण के आधार पर यह कहना चाहता हूँ कि शेख हसीना के निकाले जाने के बाद बांग्लादेश में जो अंतरिम सरकार स्थापित हुई है, वह एक अस्थायी और अत्यंत अस्थिर व्यवस्था है जिसकी अवधि अधिकतम छह महीने तक ही रह सकती है। इस संदर्भ में, भारत के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वह इस अस्थायी सरकार के साथ तत्काल और व्यापक राजनयिक संवाद स्थापित करे, न कि उसे नज़रअंदाज़ करे। व्यापार और लॉजिस्टिक समझौतों को अस्थायी रूप से बरकरार रखना आवश्यक है, और यह अनिवार्य रूप से भारत के विदेश नीति विशेषज्ञों के लिए एक विशेष टास्क फोर्स के गठन की आवश्यकता को दर्शाता है। इसके अलावा, जमात-ए-इस्लामी के बढ़ते प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस आयोग के खिलाफ एक जनसामान्य अभियान शुरू करना चाहिए, जिसमें अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान को शामिल किया जाए। चीन के आर्थिक और सैन्य विस्तार के खिलाफ, भारत को बांग्लादेश में अपने स्वयं के विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देना चाहिए, विशेषकर पूर्वोत्तर भारत के लिए परिवहन और ऊर्जा संबंधी समझौतों के माध्यम से। यह सब करने के लिए, भारत को अपने राजनयिक बलों को तत्काल तैनात करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि वह किसी भी आंतरिक अस्थिरता के समय में नैतिक और व्यावहारिक नेतृत्व का प्रदर्शन करे।

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