लालकृष्ण आडवाणी की सेहत स्थिर, डॉक्टर्स की निगरानी में: अस्पताल सूत्र
लालकृष्ण आडवाणी की सेहत स्थिर, डॉक्टर्स की निगरानी में: अस्पताल सूत्र
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की सेहत फिलहाल स्थिर बनी हुई है और वे डॉक्टरों की एक टीम की निगरानी में हैं। यह जानकारी अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली के सूत्रों ने दी है। 96 वर्षीय आडवाणी को बुधवार, 3 जुलाई 2024 की रात को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
आडवाणी, जो अविभाजित भारत में पैदा हुए थे, ने अपने जीवन में अनेक राजनीतिक उतार-चढ़ाव देखे हैं। उनकी सेहत को लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं और उनके समर्थकों में चिंता बनी हुई है। पिछले कुछ सालों में आडवाणी की सेहत में गिरावट आई है, जिसके चलते उन्हें बार-बार अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है।
अपोलो अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग में वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टर विनीट सूरी के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम उनकी देखभाल कर रही है। डॉक्टरों की टीम आडवाणी की सेहत पर कड़ी निगरानी रख रही है और इलाज की प्रक्रिया जारी है। आडवाणी की बेटी, प्रतिभा आडवाणी, भी उनके साथ अस्पताल में मौजूद हैं।
सूत्रों के अनुसार, आडवाणी को बुधवार रात करीब 9 बजे अस्पताल लाया गया था। कुछ दिनों पहले ही उन्हें एम्स से रातभर के इलाज के बाद छुट्टी दी गई थी। एम्स में उनके उपचार के दौरान भी उनके स्वास्थ्य के बारे में चिंताएं जताई गई थीं। यह दूसरा मौका है जब आडवाणी को पिछले एक ही महीने में गंभीर अवस्था के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है।
आडवाणी की सेहत को लेकर अभी और अधिक जानकारी का इंतजार है। डॉक्टरों की टीम उनके सभी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मानकों को मॉनिटर कर रही है और उनकी सेहत में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठा रही है। उनके समर्थक और पार्टी सदस्य उनकी सेहत को लेकर चिंतित हैं और उनके जल्द ही स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे हैं।
लालकृष्ण आडवाणी का राजनीतिक योगदान
लालकृष्ण आडवाणी ने भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे बीजेपी के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक रहे हैं और उनकी रणनीतियों ने पार्टी को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। पार्टी के निर्माण और इसके विस्तार में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है।
आडवाणी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत हिंदू महासभा के साथ की थी और बाद में जनसंघ से जुड़े। वे जनता पार्टी के सदस्य भी रहे और बाद में बीजेपी के स्थापना के समय से ही पार्टी के साथ जुड़े रहे। 1980 में बीजेपी के गठन के बाद से वे पार्टी के महत्वपूर्ण नेताओं में से एक बने रहे।
आडवाणी ने 2002 से 2004 तक भारत के उपप्रधानमंत्रीके पद पर भी कार्य किया। उन्होंने गृह मंत्री के रूप में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ निभाईं। वे अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नायकों में से एक थे, जिसने भारतीय राजनीति पर गहरी छाप छोड़ी।
उनकी राजनीतिक यात्रा ने अनेक विवादों को भी जन्म दिया, लेकिन उनकी नेतृत्व क्षमताओं और संगठनात्मक कौशल की हमेशा प्रशंसा की गई। उन्होंने पार्टी को एक मजबूत संगठन बनाने के लिए अटूट मेहनत की और अपने अनुयायियों के बीच एक खास पहचान बनाई।
जनता के बीच लोकप्रियता
लालकृष्ण आडवाणी की लोकप्रियता सिर्फ पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच ही नहीं, बल्कि जनता के बीच भी बहुत अधिक है। वे अपने सत्कार, विनम्रता और लंबे राजनीतिक अनुभव के कारण जनता के बीच अत्यधिक सम्मानित हैं। उन्होंने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं, जिनका प्रभाव भारतीय राजनीति पर आज भी देखा जा सकता है।
आडवाणी के समर्थक उनकी सेहत को लेकर चिंतित हैं और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे हैं। अस्पताल के बाहर उनकी सलामती की कामना करने वालों की भीड़ उमड़ी हुई है। बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता भी उनके स्वास्थ्य का हालचाल लेने अस्पताल पहुँच रहे हैं।
आडवाणी ने अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन उनके मजबूत निश्चय और विचारधारा ने उन्हें हमेशा विपरीत परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम बनाया है। उनकी सेहत में जल्द सुधार की उम्मीद की जा रही है और उनके समर्थक उनकी वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
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