मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी की ऐतिहासिक मौजूदगी, भारत-मालदीव संबंधों में नई ऊर्जा

मालदीव में पीएम मोदी की पहली ऐतिहासिक उपस्थिति
25 जुलाई 2025 को जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मालदीव के वेलाना अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पहुंचे, सब कुछ बदला-बदला सा नजर आया। वहां पहुंचते ही उन्हें एक शानदार औपचारिक स्वागत मिला। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइजु खुद स्वागत के लिए पहुंचे, जिसे देख सबको अंदाजा हो गया कि यह सिर्फ एक आम राजनयिक यात्रा नहीं है। भारतीय पीएम के लिए खास गार्ड ऑफ ऑनर, दोनों देशों के राष्ट्रगान, 21 तोपों की सलामी और एयरपोर्ट पर 'वंदे मातरम' के गगनभेदी नारे—हर लम्हा इस रिश्ते की गर्मजोशी को दिखा रहा था।
इस यात्रा की अहमियत इस बात से भी बढ़ गई क्योंकि नरेंद्र मोदी मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। यही नहीं, राष्ट्रपति मुइजु के शपथ लेने के बाद यह पहला मौका भी था जब किसी विदेशी शासनाध्यक्ष को इतना बड़ा सम्मान दिया गया।
सालगिरह पर दोस्ती और मदद का बेमिसाल जश्न
26 जुलाई को राष्ट्रपति मुइजु के साथ पीएम मोदी मालदीव के रिपब्लिक स्क्वायर पर 60वें स्वतंत्रता दिवस परेड में शामिल हुए। मालदीव डिफेंस फोर्स की शानदार परेड, लोक कलाकारों की जबरदस्त प्रस्तुतियां—इन सबने आधुनिक मालदीव का जोश और बदलाव बयां किया। मोदी ने वहां के लोगों और सरकार को अपनी बधाई दी और पूरे माहौल में मित्रता की मिसाल पेश की।
यात्रा के दौरान सबसे बड़ी खबर रही भारत द्वारा 565 मिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट देने की घोषणा। इसके साथ ही कई बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की शुरुआत हुई। दोनों देशों के नेताओं के बीच समुद्री सुरक्षा, आर्थिक साझेदारी, इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे गंभीर मुद्दों पर बात हुई। इन चर्चाओं में सबसे ज्यादा तवज्जो Comprehensive Economic and Maritime Security Partnership को दी गई—जो दोनों देशों के रिश्तों का भविष्य तय करेगी।
भारत की 'Neighbourhood First' नीति के तहत मालदीव जैसे पड़ोसी देशों से रिश्ते मजबूत करना हमेशा से प्राथमिकता में रहा है। इस मौके पर 60 साल की कूटनीतिक दोस्ती भी पूरी हो रही थी, जिससे इस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी बेहद खास रही।
- भारतीय प्रवासी समुदाय की गूंज मालदीव में महसूस हुई, जिससे दोनों देशों के बीच सीधे तौर पर बेहतर संवाद की उम्मीद जगी।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर, टूरिज्म, ट्रेड, और विशेषकर समुद्री सुरक्षा जैसे मुद्दों में बड़ा विश्वास जताया गया।
- मालदीव की जनता को तेज विकास, शिक्षा, और स्वास्थ्य सुविधाओं का फायदा मिलना तय माना गया।
इस पूरी यात्रा ने साफ कर दिया कि भारत और मालदीव पुराने दोस्त ही नहीं, बल्कि नये जमाने की नई सोच के साथ एक-दूसरे के साथ खड़े हैं। विदेश नीति के नजरिये से यह दौरा आने वाले वर्षों के लिए कई खिड़कियां खोलने वाला है—चाहे वह समुद्री सीमा का मुद्दा हो, या बड़ी परियोजनाओं में मदद, हर जगह भारत और मालदीव एक साथ नजर आएंगे।
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