RBI के MPC ने 5.5% पर रिपो दर बरकरार रखी, 6.8% GDP लक्ष्य उन्नत

RBI के MPC ने 5.5% पर रिपो दर बरकरार रखी, 6.8% GDP लक्ष्य उन्नत

जब संजय मल्होत्रा, RBI गवर्नर ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक नई दिल्ली के परिणाम घोषित किए, तो बाजार ने गहरी सांस ली। गवर्नर ने बताया कि बेंचमार्क रिपो दर 5.5 % पर अपरिवर्तित रही, जबकि वित्तीय वर्ष 2026‑27 के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान 6.8 % तक बढ़ा दिया गया। यह तय‑शुदा असहमतियों के बावजूद सभी छह सदस्यीय समिति ने एकमत से समर्थन दिया।

मौजूदा मौद्रिक नीति स्थिति

कुल मिलाकर, रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) ने इस साल अब तक 100 बेसिस पॉइंट की कमी कर दी थी। अब तक की सबसे बड़ी बात यह थी कि दो बाहरी सदस्य – डॉ. नगेश कुमार और प्रोफ. राम सिंह – मौद्रिक नीति को ‘सहायक (accommodative)’ मोड में बदलने की माँग कर रहे थे, पर अधिकांश ने ‘तटस्थ (neutral)’ ही रखी। समिति का कहना था कि मौजूदा वित्तीय नीति के प्रभाव को पूरी तरह समझने के लिए थोड़ा इंतज़ार करना ज़रूरी है।

जीडीपी वृद्धि अनुमान में बदलाव

गवर्नर मल्होत्रा ने बताया कि भारत की आर्थिक बुनियादें मजबूत हैं, इसलिए FY 26‑27 के लिए वृद्धि लक्ष्य को 6.5 % से बढ़ाकर 6.8 % कर दिया गया। उन्होंने यह भी जोड़ा कि मुद्रास्फ़ीति का अनुमान 3.1 % से घटाकर 2.6 % किया गया है। इस सुधार के पीछे कई कारण हैं – इनपुट लागतों में कमी, तेज़ी से बढ़ती निर्यात आय, और पुरानी सब्सिडी‑आधारित नीतियों का क्रमिक हटना।

वैश्विक अनिश्चितताएँ और अमेरिकी टैरिफ का असर

समिति ने स्पष्ट किया कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार‑संबंधित अनिश्चितताएँ, खासकर यू.एस. द्वारा लगाए गए टैरिफ, भारत की निर्यात‑आधारित सेक्टरों को धीमा कर सकते हैं। एक अज्ञात जोखिम कारक के रूप में उन्होंने कहा, “H2 2025‑26 में ग्रोथ धीमी पड़ सकती है।” वहीं, विदेशी मुद्रा प्रवाह में वृद्धि – विशेषकर बड़ी मात्रा में रेमिटेंस – ने कॉरंट अकाउंट डिफ़िसिट को संतुलित रखने में मदद की है।

बाजार और विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएँ

बाजार और विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएँ

रियल एस्टेट में स्थिर पूँजी लागतों को लेकर कई डेवलपर्स ने राहत की साँस ली। इसी दौरान, डॉ. समन्तक दास, जो JLL इण्डिया के मुख्य अर्थशास्त्री हैं, ने कहा, “RBI का यह फैसला झटका नहीं, बल्कि भरोसे का संकेत है। मौद्रिक नीति में यह स्थिरता निवेशकों को आगे की योजना बनाने में मदद करेगी।” कुछ उद्योग विश्लेषकों ने अगली बैठक में 5.5 % से नीचे रिपो दर लाने की माँग की, क्योंकि उचित ब्याज दर पर घर के लिये ऋण सस्ते हो सकते हैं, विशेषकर मिड‑सेगमेंट के खरीदारों के लिए।

आगे का रास्ता और भविष्य की संभावनाएँ

भविष्य की तीन प्रमुख बैठकें – 3‑5 डिसंबर 2025, 4‑6 फरवरी 2026, तथा आगे‑आगे के सत्र – में नीति‑निर्माताओं को दो बातें खास तौर पर देखनी होंगी: (1) 100 बेसिस पॉइंट कट के बाद की वास्तविक आर्थिक प्रभाव, और (2) अमेरिकी टैरिफ तथा वैश्विक सप्लाई‑चेन तनावों का विकास। यदि मुद्रास्फीति नीचे की ओर दबाव बनाए रखती है, तो अगले सत्र में दर‑कट की संभावनाएँ फिर से चर्चा में आ सकती हैं।

मुख्य बिंदु (Key Facts)

  • रिपो दर: 5.5 % (अपरिवर्तित)
  • FY 26‑27 GDP लक्ष्य: 6.8 % (पहले 6.5 %)
  • मुद्रास्फीति अनुमान: 2.6 % (पहले 3.1 %)
  • समिति में दो बाहरी सदस्य ने ‘सहायक’ मोड की माँग की
  • अगली बैठकें: 3‑5 डिसम्बर 2025, 4‑6 फ़रवरी 2026
Frequently Asked Questions

Frequently Asked Questions

रिपो दर स्थिर रहने से सामान्य जनता पर क्या असर पड़ेगा?

ब्याज दर में कोई अचानक परिवर्तन नहीं होने से गृह ऋण की किस्तें और वाहन लोन की दरें स्थिर रहती हैं। इसका मतलब है कि मौजूदा कर्ज़धारियों को अचानक बोझ नहीं बढ़ेगा, जबकि नई ऋण‑अनुरोधों पर ब्याज अभी भी थोड़ा उच्च बना रहेगा।

GDP लक्ष्य को 6.8% तक बढ़ाने का कारण क्या है?

रिपोर्टों में कहा गया है कि निर्यात‑आधारित उद्योगों में कीमतों का स्थिर होना, तेज़ी से बढ़ती रेमिटेंस, और खर्च‑सम्बन्धी सरकारी पहलों ने आर्थिक गति को बढ़ावा दिया है। इसलिए RBI ने आँकड़ों को देखते हुए लक्ष्य को ऊपर ले जाया।

अमेरिकी टैरिफ का भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

यदि टैरिफ में और वृद्धि होती है तो भारतीय वस्तुएँ अमेरिकी बाजार में महँगी हो जाएँगी, जिससे निर्यात‑केंद्रित सेक्टर जैसे टेक्सटाइल और एलीमेंट्री मैन्युफैक्चरिंग प्रभावित हो सकते हैं। इससे बैलेन्स‑ऑफ़‑पेमेंट में दबाव बढ़ सकता है।

अगली MPC बैठक में दर‑कट संभव है क्या?

यदि मुद्रास्फीति लक्ष्य के नीचे स्थिर रहती है और वैश्विक टैरिफ‑जोखिम कम हो जाता है, तो नीति‑निर्माता अगले सत्र में दर‑कट पर गंभीरता से विचार कर सकते हैं। लेकिन अभी तक कोई ठोस संकेत नहीं मिला है।

रियल एस्टेट सेक्टर को इस निर्णय से क्या लाभ होगा?

स्थिर रिपो दर का मतलब है कि डिवेलपर्स को फाइनेंसिंग लागत में अचानक छलांग नहीं लगेगी। इससे कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट्स में स्टार्ट‑अप समय कम रहेगा और अंततः खरीदारों के लिये कीमतों में दबाव कम रह सकता है।

  • अक्तू॰, 1 2025
1 टिप्पणि
  • Kiran Singh
    Kiran Singh अक्तूबर 1, 2025 AT 22:12

    RBI ने रिपो दर वही रखी, यह अच्छा संकेत है 😊। स्थिरता से वित्तीय बाजार में भरोसा बनता है और निवेशकों को योजना बनाने में आसानी होगी। इस निर्णय से मध्यम वर्ग के लिए गृह ऋण की किस्तें बहुत अधिक नहीं बढ़ेंगी, जो एक सकारात्मक बदलाव है।

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