अफगानिस्तान ने आईसीसी पुरुष टी20 विश्व कप के ग्रुप सी मुकाबले में पापुआ न्यू गिनी को हराकर दूसरे दौर में प्रवेश कर लिया है। अफगानिस्तान ने पहले गेंदबाजी करते हुए पापुआ न्यू गिनी को केवल 95 रन पर आउट कर दिया। फजलहक फारूकी के शानदार प्रदर्शन की बदौलत, जिन्हें मैन ऑफ द मैच घोषित किया गया, अफगानिस्तान ने 101/3 रन बना कर मुकाबला जीत लिया।
आईसीसि द्वारा पेश किया गया कंशन सब्स्टिट्यूट नियम क्या है?
क्रिकेट में चोटें कभी भी हो सकती हैं, खासकर तेज़ बॉल के कारण सिर पर चोट लगना आम बात है। आईसीसि ने इस समस्या को हल करने के लिये "कंशन सब्स्टिट्यूट" नियम अपनाया है। इसका मकसद खिलाड़ी की तुरंत सुरक्षा करना और टीम को बिना बड़ी कठिनाई के नया खिलाड़ी भेजने का विकल्प देना है।
जब भी कोई बैटर या फील्डर कंशन (सिर पर चोट) के लक्षण दिखाता है, तो रेफ्री उसे तुरंत खेल से बाहर कर देता है। इसके बाद टीम को एक वैकल्पिक खिलाड़ी चुनना होता है जो उसी इनिंग में खेल सकता है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर की रिपोर्ट और ऑन‑फ़िल्ड मेडिकल स्टाफ का सहयोग जरूरी है।
कंशन सब्स्टिट्यूट नियम के प्रमुख बिंदु
- खिलाड़ी को सिर पर चोट लगने के बाद तुरंत खेल से हटाया जाता है।
- विकल्पी खिलाड़ी को उसी इनिंग में खेलने का अधिकार मिलता है, लेकिन वह पहले खेले हुए खिलाड़ी की जगह नहीं लेता; वह नया खिलाड़ी होता है।
- निर्धारित डॉक्टर की रिपोर्ट के बिना वैकल्पिक चयन नहीं किया जा सकता।
- यदि टीम ने पहले ही सभी 11 खिलाड़ियों को खेल में लाया हो तो भी कंशन सब्स्टिट्यूट लागू रहता है, जिससे टीम को दोहरा नुकसान नहीं होता।
मैच में इसका असर और खिलाड़ी की सुरक्षा
पहली बार इस नियम का प्रयोग अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैचों में हुआ था। उदाहरण के तौर पर जब पार्थिव पटेल ने इंग्लैंड बनाम भारत तीसरे टेस्ट में जसप्रीत बुमराह को कंशन कारण से बाहर किया, तो टीम ने तुरंत वैकल्पिक खिलाड़ी भेजा। इससे न सिर्फ बुमराह की स्वास्थ्य सुरक्षा हुई बल्कि मैच का संतुलन भी बना रहा।
फैंस के लिये यह नियम थोड़ा उलझनभरा लग सकता है क्योंकि पहले खेल में 11 खिलाड़ियों से ज्यादा नहीं बदल सकते थे। अब अगर कोई प्रमुख खिलाड़ी चोटिल हो जाए, तो टीम को तुरंत नया चेहरा दिखाने का मौका मिलता है और दर्शकों को भी निराशा कम होती है।
खेल की रणनीति पर भी असर पड़ता है। कप्तान को पहले ही कंशन के जोखिम को ध्यान में रखकर बैटिंग क्रम या फील्ड प्लेसमेंट तय करना पड़ता है। इससे मैच की योजना अधिक लचीली और डाइनामिक बनती है।
आईसीसि ने इस नियम को लागू करने से खिलाड़ियों की दीर्घकालिक स्वास्थ्य देखभाल में बड़ा कदम उठाया है। अब चोट लगने के बाद खेल छोड़ना ही नहीं, बल्कि जल्दी पुनर्वास भी संभव हो गया है। यह बदलाव भारत सहित सभी देशों की क्रिकेट बोर्डों द्वारा सराहा जा रहा है।
अगर आप एक आम दर्शक हैं या खिलाड़ी, तो कंशन सब्स्टिट्यूट नियम को समझना आपके लिये फायदेमंद रहेगा। इससे आप मैच के दौरान क्या हो रहा है, इसे बेहतर ढंग से देख पाएंगे और साथ ही खिलाड़ियों की सुरक्षा में बढ़ते कदमों का आनंद ले सकते हैं।
अंत में कहा जा सकता है कि आईसीसि ने यह नियम खेल को सुरक्षित बनाते हुए भी रोमांचक रखा है। अगले मैच में जब आप देखें कि कोई खिलाड़ी जल्दी बाहर हो रहा है, तो याद रखें कि यह एक नई सुरक्षा नीति की वजह से है और इसका उद्देश्य सभी के लिये बेहतर क्रिकेट प्रदान करना है।