भगड़: भारत का जंगली कुत्ता और उसका महत्व

आपने कभी ‘भगड़’ शब्द सुना होगा – यह वह बड़ा, तेज़ दाँतों वाला जंगली कुत्ता है जो भारत के कई राष्ट्रीय उद्यानों में रहता है। आम लोगों को इस प्राणी के बारे में कम जानकारी होती है, इसलिए हम यहाँ सरल भाषा में सब समझाते हैं।

भगड़ की पहचान और आवास

भगड़ का आकार भेड़िये से थोड़ा छोटा, लेकिन शरीर मजबूत होता है। उनका फर गहरा भूरे‑स्लेटी रंग का रहता है, जिससे वे जंगल के छाया में आसानी से घुलमिल जाते हैं। मुख्यतः यह भारतीय सागरकिनारे वाले वन, घास के मैदान और पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाते हैं – जैसे कि कांग्रू नेशनल पार्क, जिम कॉर्बेट और राजस्थान के कुछ हिस्से।

इनकी शिकार शैली बहुत तेज़ होती है; वे छोटे हिरण, बाघ की बकरी या यहाँ तक कि सस्तन जीवों को पकड़ लेते हैं। समूह में रहने से उनका सामूहिक शिकार अधिक सफल होता है। यही कारण है कि इनके सामाजिक व्यवहार को समझना संरक्षण के लिये जरूरी है।

भर्ती और बचाव – क्या किया जा रहा है?

पिछले साल वन विभाग ने कई परियोजनाएँ शुरू कीं। सबसे प्रमुख ‘भगड़ सुरक्षा योजना’ में उनके आवास का विस्तार, जल स्रोत बनाना और मानव‑वन्यजीव संघर्ष कम करना शामिल है। स्थानीय लोगों को जागरूक करने के लिये स्कूलों में विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जहाँ बच्चों को बताया जाता है कि भगड़ को नुकसान पहुँचाने से नहीं केवल वन्य जीव, बल्कि पूरे पर्यावरण को खतरा होता है।

कुछ राज्यों ने ‘भू‑संकट ग्रिड’ स्थापित किया जिससे जंगल के भीतर घोस्टिंग (अवैध शिकार) का पता चल सके। इससे पकड़े गए अवैध शिकारी को कड़ी सजा मिलती है और साथ ही उनका सामान ज़ब्त हो जाता है। इस तरह की कार्रवाई ने पिछले दो वर्षों में भगड़ की मृत्यु दर घटाने में मदद की है।

अगर आप वन भ्रमण के दौरान किसी भगड़ का सामना करें, तो शोर न मचाएँ, दूरी बनाए रखें और कैमरा से तस्वीरें लें। इससे वैज्ञानिकों को नई जानकारी मिलती है जो भविष्य में अधिक प्रभावी संरक्षण नीति बनाने में उपयोग होती है।

समग्र रूप से देखा जाए तो भगड़ सिर्फ एक जंगली कुत्ता नहीं, बल्कि भारत के जैव विविधता का अहम हिस्सा है। उसके बिना पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो सकता है। इसलिए हमें इसे बचाने के लिये व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तर पर प्रयास करने चाहिए।

यदि आप इस टैग से जुड़े नवीनतम समाचार पढ़ना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए लेखों को देखें – चाहे वह वन संरक्षण की नई नीति हो या किसी राष्ट्रीय उद्यान में भगड़ की हालिया देखी गई गतिविधि। आपके प्रत्येक क्लिक से यह संदेश आगे बढ़ता है: ‘भगड़ भी हमारे साथ जीवित रहना चाहता है।’

हाथरस भगदड़: उत्तर प्रदेश सरकारी अधिकारी का पत्र त्रासदी का वर्णन करता है

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हाथरस के सब-डिविजनल मैजिस्ट्रेट सिकंद्रा राव के पत्र में फूलारी गांव में हुए धार्मिक 'सत्संग' कार्यक्रम में हुई दिल दहला देने वाली भगदड़ का विवरण है, जिसमें करीब 121 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए। भगदड़ स्वघोषित गुरु नारायण सकार हरि उर्फ 'भले बाबा' के कार्यक्रम के दौरान हुई।

  • जुल॰, 3 2024
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