शाहिद कपूर की नई फिल्म 'देवा' का रिव्यू: एक शानदार थ्रिलर

शाहिद कपूर की नई फिल्म 'देवा' का रिव्यू: एक शानदार थ्रिलर

शाहिद कपूर की नई फिल्म 'देवा' का गहराई से विश्लेषण

'देवा' नामक यह फिल्म शाहिद कपूर के करियर की एक और महत्वपूर्ण कड़ी साबित होती नजर आती है। इसमें शाहिद सिंह देव अंब्रे की भूमिका में हैं, जो एक गुस्सैल और आक्रामक पुलिस अधिकारी है। फिल्म में उनके किरदार को कई स्तरों पर दिखाया गया है, जिसमें एक कठोर पुलिसवाले से लेकर एक संवेदनशील सहकर्मी तक के स्वरूप शामिल हैं। शाहिद का अभिनय उनकी फिल्मोग्राफी का एक और शानदार उदाहरण है, जिसमें ऊर्जा और गहराई की झलक साफ नजर आती है।

फिल्म की कहानी और निर्देशन

रोशन एंड्रयूज द्वारा निर्देशित इस फिल्म की कहानी देव अंब्रे के इर्द-गिर्द घूमती है, जिन्हें अपने दोस्त और सहयोगी एसीपी रोहन डी'सिल्वा के हत्या की जाँच करते समय अपनी याददाश्त खो जाती है। फिल्म में Pavail Gulati ने एसीपी रोहन डी'सिल्वा का किरदार बखूबी निभाया है। फिल्म मूल रूप से 2013 की मलयालम फिल्म 'मुंबई पुलिस' की रीमेक है, लेकिन इसमें अन्य तत्वों को जोड़कर इसे एक ताजगी प्रदान की गई है।

अभिनेताओं का प्रदर्शन और किरदार

शाहिद के बाहर, फिल्म में Pravesh Rana, Kubbra Sait और Girish Kulkarni जैसे प्रतिभाशाली अभिनेताओं ने भी दमदार अभिनय किया है। हालांकि, कई समीक्षकों का मानना है कि Pooja Hegde के किरदार Diya को और अधिक गहराई देकर मजबूत बनाया जा सकता था। फिल्म की कहानी में कुछ जगहें ऐसी हैं जो लोगों को अधूरी और कुछ स्थिति का असर फीका लगता है।

फिल्म का तकनीकी पक्ष

फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर की तारीफ लायक है। फिल्म के दृश्य मुंबई की वास्तविकता को बखूबी कैद करते हैं और शहर की आत्मा को दर्शाते हैं। यह एक ऐसा पक्ष है जो फिल्म को एक अलग आयाम में ले जाता है और दर्शकों को बांधने में सफल होता है। संगीत और तकनीकी प्रभाव भी दर्शकों को फिल्म के साथ जोड़े रखते हैं।

कुल मिलाकर निष्कर्ष

हालांकि फिल्म के अंत में कुछ कमजोरियां हैं, जैसे कि कमजोर क्लाईमैक्स और कुछ जगहों पर कहानी में कमी, लेकिन फिर भी यह फिल्म शाहिद कपूर के फैंस के लिए जरूर देखने लायक है। शाहिद का प्रदर्शन इस फिल्म में जबरदस्त है और यह उनके फैंस को विशेष रूप से लुभाएगा। फिल्म के आलोचक हो सकते हैं, लेकिन इसके निर्देशन, अभिनय और सिनेमैटिक गुणवत्ता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

  • फ़र॰, 1 2025
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