क्रिकेटर हार्दिक पांड्या ने अपनी पत्नी नताशा स्टैनकोविच से तलाक की पुष्टि की है। तलाक के बाद नताशा को हार्दिक की संपत्ति का 70% हिस्सा मिल सकता है। हार्दिक की कुल संपत्ति लगभग 94 करोड़ रुपये है। वे बीसीसीआई से 1.5 करोड़ रुपये मासिक और 5 करोड़ रुपये वार्षिक कमाते हैं। दोनों ने 2020 में शादी की थी और उनका एक बेटा अगस्त्य है।
तलाक: कब सोचें, कैसे करें और क्या रखें ध्यान में
जब रिश्ते में लगातार झगड़े हों, संवाद टूट जाए और दोनों पक्ष एक-दूसरे को सहन नहीं कर पा रहे हों, तो तलाक के बारे में सोचना शुरू हो जाता है। लेकिन निर्णय लेने से पहले कुछ बातों पर गौर करना जरूरी है ताकि बाद में पछतावा न हो।
तलाक के मुख्य कारण क्या होते हैं?
आमतौर पर अलगाव का मूल कारण भरोसे की कमी, वित्तीय तनाव या शारीरिक/मानसिक दुर्व्यवहार होता है। कभी‑कभी परिवार में बाहरी दबाव या बच्चे की परवरिश को लेकर असहमति भी बड़ा कारक बनती है। इन समस्याओं को पहले काउंसलिंग के जरिए हल करने की कोशिश करनी चाहिए; अगर फिर भी समाधान न मिले तो तलाक एक विकल्प बन सकता है।
तलाक की कानूनी प्रक्रिया कैसे चलती है?
भारत में तलाक दो मुख्य रास्तों से हो सकता है – वैध कारण (जैसे हिंसा, परित्याग) या पारिवारिक समझौता (समझौता तलाक)। पहले आप कोर्ट में ‘विच्छेद याचिका’ दाखिल करते हैं। फिर कोर्ट दोनों पक्षों की सुनवाई करता है, साक्ष्य देखता है और बच्चों की कस्टडी, संपत्ति विभाजन आदि पर आदेश देता है। प्रक्रिया में वकील की मदद लेना समझदारी है, क्योंकि सही दस्तावेज़ीकरण से समय बचता है।
कागजी कार्यवाही के अलावा कुछ जरूरी कदम भी हैं – आर्थिक हिसाब‑किताब साफ करें, बैंक खाते और निवेशों को अलग‑अलग रखें, और अगर बच्चों की उम्र कम है तो उनके लिए रहने का स्थान तय करें। ये सब चीजें बाद में विवाद से बचाती हैं।
बच्चों के बारे में सबसे संवेदनशील सवाल रहता है कि तलाक के बाद उनका भविष्य कैसे सुरक्षित रहेगा। कोर्ट आमतौर पर माता‑पिता दोनों को आर्थिक समर्थन देने का आदेश देता है, और बच्चे की कस्टडी तय करता है – चाहे माँ हो या पिता, यह बच्चे के हित में होना चाहिए। बच्चों को इस बदलाव से धीरे‑धीरे परिचित कराना, खुलकर बात करना और उन्हें भरोसा देना बहुत ज़रूरी है।
तलाक के बाद कई लोग पुनर्विवाह की सोचते हैं। इससे पहले खुद का मानसिक स्वास्थ्य मजबूत करें, सामाजिक नेटवर्क बनाएं और वित्तीय स्थिरता पर ध्यान दें। नया संबंध शुरू करने से पहले अपने पिछले अनुभवों को समझें, ताकि वही गलतियाँ दोबारा न हों।
अंत में, तलाक सिर्फ कागज की प्रक्रिया नहीं है; यह जीवन में बड़ा बदलाव लाता है। सही जानकारी, कानूनी सलाह और भावनात्मक समर्थन के साथ इसे संभालना आसान हो जाता है। यदि आप या आपके किसी परिचित को इस मुद्दे पर मदद चाहिए, तो निःसंकोच स्थानीय फ़ैमिली कोर्ट या भरोसेमंद काउंसलर से संपर्क करें।