अफ्रीका में ज्वालामुखी विस्फोट से भारत-यूएई फ्लाइट्स रद्द, विचलित

अफ्रीका में ज्वालामुखी विस्फोट से भारत-यूएई फ्लाइट्स रद्द, विचलित
  • नव॰, 25 2025

एथियोपिया के अफ़ार क्षेत्र में स्थित हैली गुब्बी ज्वालामुखी का रविवार, 23 नवंबर 2025 को लगभग 12,000 साल के शांत अवधि के बाद विस्फोट हुआ, जिससे वायुमंडल में 14 किलोमीटर ऊँचाई तक राख का बादल फैल गया। यह विस्फोट न सिर्फ अफ्रीका के आसपास के क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि भारत से यूएई तक के महत्वपूर्ण हवाई मार्गों को भी अवरुद्ध कर दिया है। भारतीय नागरिक विमानन निदेशालय (DGCA) ने शनिवार को ही एक विशेष चेतावनी जारी की — राख का बादल भारत के पश्चिमी और उत्तरी हवाई क्षेत्रों तक पहुँच चुका है।

राख का बादल कैसे भारत तक पहुँचा?

ज्वालामुखी के विस्फोट के बाद ऊपरी हवाओं ने राख को दक्षिण पूर्वी एशिया की ओर धकेल दिया। तुलूज़ ज्वालामुखी राख सलाह केंद्र (Toulouse Volcanic Ash Advisory Centre) ने जारी किए गए डेटा के आधार पर, DGCA ने 24 नवंबर को गुजरात के जामनगर तक राख के पहुँचने की भविष्यवाणी की। यह बादल दिल्ली और जयपुर की ओर बढ़ रहा है। गुजरात के विज्ञान परिषद के प्रतिनिधि नरोत्तम साहू ने बताया कि यह विस्फोट टेक्टोनिक गतिविधि के कारण हुआ — जो लगभग 12,000 साल में एक बार होती है। यह एक भूवैज्ञानिक अद्वितीय घटना है।

किन एयरलाइंस ने फ्लाइट्स रद्द कीं?

भारत की तीन प्रमुख एयरलाइंसें — Akasa Air, IndiGo और Air India — ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। Akasa Air ने 24 और 25 नवंबर के लिए जेद्दा, कुवैत और अबूधाबी के लिए सभी उड़ानें रद्द कर दीं। एक अधिकारी ने कहा, "हवाई क्षेत्र में असुरक्षित स्थितियों के कारण ये उड़ानें रद्द की गईं।" इंडिगो ने एक उड़ान — 6E 1433 — जो केरल के कन्नूर से अबूधाबी के लिए थी, को अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर विचलित कर दिया। एयर इंडिया ने 11 उड़ानों को रद्द कर दिया, जिनके इंजनों की जाँच के लिए जमीन पर रखा गया।

यूएई की प्रतिक्रिया: सुरक्षा पर जोर

यूएई की राष्ट्रीय एयरलाइन Etihad Airways ने अपनी सभी उड़ानें चलाते रहने की पुष्टि की, लेकिन एक बयान में कहा, "हम स्थिति को निरंतर निगरानी कर रहे हैं।" इसके बावजूद, कई भारतीय यात्री जिनकी उड़ानें अबूधाबी या दुबई के लिए थीं, वे अब लंबे समय तक विचलित हो गए। एक यात्री ने बताया, "हमारी उड़ान दो घंटे देरी से उड़ी। विमान में इंजन की जाँच के लिए दो बार रुकना पड़ा।"

वैमानिकी जोखिम: राख क्यों खतरनाक है?

वैज्ञानिकों के अनुसार, ज्वालामुखी राख विमानों के टर्बाइन इंजनों में पिघल जाती है — जिससे इंजन बंद हो सकते हैं। 1982 में ब्रिटिश एयरवेज फ्लाइट 9 का घटनाक्रम याद किया जाता है, जब एक बोइंग 747 इंडोनेशिया के ऊपर उड़ते हुए चारों इंजन बंद हो गए थे। उस घटना में विमान 14,000 फीट नीचे गिरा, लेकिन अंततः इंजन फिर से शुरू हो गए। आज के आधुनिक विमानों में भी यह खतरा बरकरार है। भारत-यूएई मार्ग पर रोजाना 200 से अधिक उड़ानें चलती हैं — जिनमें लाखों यात्री शामिल हैं।

प्रभावित क्षेत्र और भविष्य का अनुमान

राख का प्रवाह अभी भी गुजरात, राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा की ओर बढ़ रहा है। DGCA ने अभी तक अपनी चेतावनी बरकरार रखी है। अगले 48 घंटों में राख के बादल उत्तरी मध्य भारत तक पहुँच सकते हैं। एयरलाइंस ने अपने यात्रियों को अपने संपर्क विवरण अपडेट करने की सलाह दी है। Akasa Air ने अपने X (पुराना Twitter) खाते पर लिखा, "हम एथियोपिया के ज्वालामुखी गतिविधि की निगरानी लगातार कर रहे हैं।"

यात्रियों के लिए क्या करें?

अगर आपकी उड़ान रद्द या विचलित हो गई है, तो सबसे पहले एयरलाइन की वेबसाइट या मोबाइल ऐप चेक करें। ज्यादातर एयरलाइंस ने यात्रियों को निःशुल्क रिबुकिंग का विकल्प दिया है। यात्रियों को अपने फ्लाइट स्टेटस के लिए एयरपोर्ट के रियल-टाइम अपडेट्स भी देखने चाहिए। अबूधाबी और दुबई के लिए जाने वाले यात्री अब अपने वीजा और होटल बुकिंग के लिए लचीलापन रखें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इस ज्वालामुखी विस्फोट का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

भारत के पश्चिमी और उत्तरी हवाई क्षेत्रों में राख के बादल के कारण अगले 48-72 घंटों तक उड़ानें रद्द या विचलित हो सकती हैं। जामनगर, अहमदाबाद, दिल्ली और जयपुर के हवाई अड्डे सबसे अधिक प्रभावित होंगे। इंजन जाँच के कारण उड़ानों में देरी होगी। यात्रियों को अपने फ्लाइट के स्टेटस को लगातार चेक करना चाहिए।

क्या यह ज्वालामुखी फिर से फूट सकता है?

हाँ, भले ही यह विस्फोट 12,000 साल के बाद हुआ है, लेकिन अफ़ार क्षेत्र एक ज्वालामुखीय रूप से सक्रिय क्षेत्र है। इसके आसपास तीन अन्य ज्वालामुखी भी हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह विस्फोट एक श्रृंखला का शुरुआती हिस्सा हो सकता है। अगले सप्ताह तक अतिरिक्त विस्फोट की संभावना 30% है।

भारत और यूएई के बीच कितनी उड़ानें प्रभावित हुईं?

रोजाना भारत और यूएई के बीच 210 से अधिक उड़ानें चलती हैं, जिनमें से 85% अबूधाबी, दुबई और जेद्दा के लिए हैं। 24 नवंबर को लगभग 75 उड़ानें रद्द या विचलित हुईं। लगभग 12,000 यात्री प्रभावित हुए। यह अभी तक का सबसे बड़ा ज्वालामुखी आधारित विमानन व्यवधान है।

क्या एयरलाइंस इंजनों की जाँच कर रही हैं?

हाँ, DGCA के निर्देशानुसार, जिन विमानों ने राख के क्षेत्र से गुजरना था, उनके इंजनों की विस्तृत जाँच की जा रही है। एयर इंडिया ने 11 उड़ानों को रद्द करके इंजन चेक किए। अहमदाबाद और अबूधाबी में लैंडिंग के बाद विमानों की जाँच दो बार हुई — एक जमीन पर और एक उड़ान से पहले।

क्या यह घटना भारत की हवाई नीति को बदल सकती है?

संभव है। इस घटना ने दर्शाया कि हमारे विमानन सिस्टम अंतरराष्ट्रीय ज्वालामुखी चेतावनियों पर पूरी तरह निर्भर हैं। भविष्य में DGCA शायद अपने अपने राख निगरानी सिस्टम की शुरुआत करे। यह घटना भारत के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता को भी उजागर करती है।

क्या यह ज्वालामुखी भारत के वातावरण को प्रभावित करेगा?

नहीं, कम से कम अभी नहीं। राख का बादल 14 किमी ऊँचाई पर है, जो व्यापारिक उड़ानों के लिए खतरनाक है, लेकिन भूमि के पास नहीं पहुँचेगा। वायु गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह केवल हवाई यातायात के लिए एक तकनीकी खतरा है — न कि स्वास्थ्य या पर्यावरणीय खतरा।

2 टिप्पणि
  • Vaneet Goyal
    Vaneet Goyal नवंबर 26, 2025 AT 05:55

    यह ज्वालामुखी विस्फोट असल में एक बड़ी चेतावनी है। हमारे हवाई परिवहन प्रणाली इतनी नाजुक है कि एक अफ्रीकी ज्वालामुखी के विस्फोट से पूरा नेटवर्क अटक जाता है। DGCA को अपना अपना राख निगरानी सिस्टम बनाना चाहिए। बाहर के केंद्रों पर निर्भर रहना खतरनाक है।

  • Amita Sinha
    Amita Sinha नवंबर 26, 2025 AT 06:11

    अरे भाई ये सब तो बस एयरलाइंस का बहाना है ना? 🤦‍♀️ मैंने तो एक बार इंडिगो की उड़ान तीन घंटे देरी से देखी थी और उस दिन तो हवा भी शांत थी! अब ये राख का बादल लाते हैं तो सब ठीक हो जाता है। यात्री को बस बैठकर इंतजार करना है।

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