गुरमीत राम रहीम की बरी पर सवाल उठाते हुए चरणजीत सिंह चन्नी ने चुनावी राजनीति पर साधा निशाना

गुरमीत राम रहीम की बरी पर सवाल उठाते हुए चरणजीत सिंह चन्नी ने चुनावी राजनीति पर साधा निशाना
  • मई, 29 2024

गुरमीत राम रहीम की बरी पर चरणजीत सिंह चन्नी का बयान

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और काँग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी ने हाल ही में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए एक फैसले के बाद राजनीतिक सरगर्मी पैदा कर दी। यह फैसला डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को 2002 के रंजीत सिंह हत्या मामले में बरी करने का था। चन्नी ने इस फैसले पर गहरी असहमति जताते हुए इसे गंभीर सवालों के घेरे में ला दिया।

चुनावी राजनीति का सवाल

चन्नी ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया कि वे अदालती फैसले पर टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन उन्होंने भाजपा की योजनाओं पर कड़ा हमला बोला। उन्होंने पूछा कि आखिर क्यों गुरमीत राम रहीम को हर बार चुनाव के आसपास ही कुछ खास राहत मिलती है। यह सवाल ना केवल राजनीतिक दलों बल्कि आम जनता के बीच भी विवाद का विषय बना हुआ है।

दरअसल, इस मामले को लेकर सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भारी गहमागहमी का माहौल है। हर कोई यह जानना चाहता है कि क्यों राम रहीम को बार-बार चुनाव के समय कोई न कोई राहत मिल जाती है।

परिवारों का दर्द और संघर्ष

रंजीत सिंह के परिवार ने उच्च न्यायालय के इस फैसले पर निराशा जाहिर की है। रंजीत सिंह के भाई-बहन, प्रभु दयाल ने कहा कि वे इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और न्याय की लड़ाई सर्वोच्च न्यायालय में जारी रखने का संकल्प जताया। उनके अनुसार, यह निर्णय न्याय की मूल भावना के खिलाफ है और उन्हें इस मामले में उच्च न्यायालय के फैसले से बेहद दुख हुआ है।

प्रभु दयाल का कहना है कि वे किसी भी हालत में न्याय प्राप्त करने के लिए संघर्ष करते रहेंगे। वे चाहते हैं कि रंजीत सिंह के हत्या के मामले में दोषियों को सजा मिले और न्यायपालिका उनके साथ खड़ी हो।

अन्य मामलों का प्रभाव और संवाद

राम चंद्र छत्रपति के बेटे, अंशुल छत्रपति ने भी इस फैसले पर निराशा व्यक्त की है। उन्होंने इसे न्याय के साथ खिलवाड़ बताया और कहा कि इस निर्णय ने न केवल परिवारों बल्कि अन्य संबंधित मामलों को भी प्रभावित किया है। अंशुल छत्रपति ने हवाला दिया कि गुरमीत राम रहीम के खिलाफ अन्य कई मामले भी लंबित हैं, जिनमें यौन शोषण और हत्या के भी मामले शामिल हैं। इन सभी मामलों को जोड़कर देखने की आवश्यकता है और इस तरह के फैसले न्याय प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।

सीबीआई कोर्ट का पिछला फैसला

गौरतलब है कि इस मामले में एक सीबीआई अदालत ने पहले गुरमीत राम रहीम और अन्य आरोपियों को दोषी ठहराया था। परंतु उच्च न्यायालय ने अब उस फैसले को उलट दिया है, जो ना सिर्फ कानूनी विशेषज्ञों बल्कि आम जनता के लिए भी एक बड़ा सवाल है।

गहराती राजनीतिक ध्रुवीकरण

इस मामले का राजनीतिक ध्रुवीकरण भी साफ दिखाई दे रहा है। चन्नी के बयान ने विपक्ष को एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मुद्दा दे दिया है। जहां एक तरफ चन्नी ने भाजपा पर सीधा हमला बोला, वहीं दूसरी ओर आम जनता और राजनीतिक जानकारों ने इसे न्याय के रख-रखाव पर गहरा संकट मानते हुए चिंता जाहिर की है।

इस घटना ने राजनीतिक मंच पर एक नई बहस छेड़ दी है। अब देखना होगा कि इस मसले पर आगे क्या रणनीति अपनाई जाती है और न्याय की प्रक्रिया कैसे कार्यान्वित होती है।

न्यायिक प्रक्रिया और सामाजिक प्रभाव

कुल मिलाकर, इस फैसले ने न केवल न्याय प्रणाली पर सवाल उठाए हैं बल्कि समाज के विभिन्न तबकों में एक नया संचार भी स्थापित किया है। जनता अब अधिक सजग होकर इस मामले को देख रही है और न्याय की मांग कर रही है।

अब सभी की नजरें शीर्ष न्यायालय पर टिकी हैं, जहां परिवारों ने न्याय की आखिरी उम्मीद से अपनी अपील दायर की है। देखना यह होगा कि न्यायिक प्रक्रिया इस दिशा में कैसे आगे बढ़ती है और जनता की उम्मीदों पर कितनी खरा उतरती है।

इस पूरे मामले के हर पहलू पर गौर करना आवश्यक है ताकि न्याय के सर्वोच्च मापदंडों को स्थापित किया जा सके। उम्मीद जताई जा रही है कि शीर्ष न्यायालय इस फैसले पर फिर से विचार करेगा और सही निर्णय पर पहुंचेगा।

17 टिप्पणि
  • DIVYA JAGADISH
    DIVYA JAGADISH मई 31, 2024 AT 05:41
    ये फैसला न्याय नहीं, राजनीति है।
  • Urvashi Dutta
    Urvashi Dutta मई 31, 2024 AT 06:21
    इस मामले में जो भी हुआ है, उसके पीछे सिर्फ कानून का नहीं, बल्कि एक गहरा सामाजिक असंतोष भी है। रंजीत सिंह के परिवार का दर्द बस एक फैसले से नहीं जाएगा, ये तो एक पीढ़ी का संघर्ष है। हम जब भी किसी धार्मिक नेता के खिलाफ कोई कार्रवाई होती है, तो तुरंत राजनीतिक रंग लग जाता है। लेकिन अगर ये फैसला एक साधारण नागरिक के खिलाफ होता, तो क्या यही बहस होती? क्या ये न्याय की दोहरी माप नहीं है? हमारी समाज में जब कोई शक्तिशाली व्यक्ति आता है, तो उसके ऊपर कानून का लागू होना बहुत दुर्लभ हो जाता है। ये सिर्फ एक मामला नहीं, ये एक संकेत है कि हमारी न्याय प्रणाली कहाँ खिंच रही है। अगर हम इसे नहीं सुधारेंगे, तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें बस एक अन्य असमान समाज के रूप में याद करेंगी।
  • Rahul Alandkar
    Rahul Alandkar जून 1, 2024 AT 03:37
    मैं चन्नी के बयान को समझता हूँ, लेकिन ये सवाल अदालत के फैसले के खिलाफ नहीं होना चाहिए। अदालत ने जो फैसला दिया, उसके पीछे कानूनी तर्क होंगे। राजनीति इसे नहीं बदल सकती।
  • Jai Ram
    Jai Ram जून 2, 2024 AT 02:11
    ये फैसला असल में बहुत गहरा है 😔
    कानून के अनुसार तो उच्च न्यायालय का फैसला बरकरार है, लेकिन समाज का दिल अभी भी इसके खिलाफ है। सीबीआई कोर्ट का दोषी ठहराना एक बात थी, अब उच्च न्यायालय का उलट देना एक और। ये जो दोहराव हो रहा है, इससे लोगों को भरोसा नहीं रहता। मैं चाहता हूँ कि सर्वोच्च न्यायालय इसे एक बार फिर से जाँचे, न कि बस राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जाए।
  • Vishal Kalawatia
    Vishal Kalawatia जून 3, 2024 AT 18:51
    अरे भाई, ये सब बकवास है। गुरमीत राम रहीम एक धोखेबाज है, और उसके सारे फैसले चुनाव के लिए बनाए गए हैं। भाजपा को जिम्मेदार ठहराना बेकार है, ये सब कांग्रेस भी करती है। न्याय तो बस एक शब्द है, असल में सब बाजार है।
  • Kirandeep Bhullar
    Kirandeep Bhullar जून 4, 2024 AT 18:52
    क्या तुम्हें लगता है कि न्याय कभी निष्पक्ष होता है? नहीं। न्याय तो शक्ति का नाम है। जिसके पास पैसा है, जिसके पास नाम है, जिसके पास भक्ति है - उसके लिए कानून बनता है। रंजीत सिंह का परिवार तो बस एक और आम आदमी है, जिसका कोई नहीं सुनता। ये मामला न्याय का नहीं, इंसानियत का है।
  • Amal Kiran
    Amal Kiran जून 5, 2024 AT 01:35
    इतना लिखा है कि दिमाग घूम गया। बस ये बताओ - क्या ये फैसला सही है या गलत? कोई नहीं बता रहा।
  • abhinav anand
    abhinav anand जून 6, 2024 AT 07:50
    मुझे लगता है कि इस बहस में हम एक बात भूल रहे हैं - जनता को न्याय की उम्मीद है, लेकिन क्या हमने कभी अपने आप से पूछा है कि हम न्याय के लिए क्या कर रहे हैं? बस बातें करना आसान है, लेकिन बदलाव लाना मुश्किल।
  • Rinku Kumar
    Rinku Kumar जून 7, 2024 AT 07:22
    अच्छा हुआ कि चन्नी ने बोल दिया। अगर नहीं बोलते, तो लोग सोचते कि सब ठीक है। न्याय की गाड़ी तो अब भी चल रही है... बस रास्ता बदल गया है 😏
  • Pramod Lodha
    Pramod Lodha जून 8, 2024 AT 09:17
    ये फैसला अभी तक बहुत ज्यादा जारी है, लेकिन ये अंत नहीं है। अगर सर्वोच्च न्यायालय ने भी इसे उलट दिया, तो ये जीत होगी। बस थोड़ा और सहन करो। न्याय धीमा होता है, लेकिन अनिवार्य होता है।
  • Neha Kulkarni
    Neha Kulkarni जून 8, 2024 AT 15:00
    इस मामले में न्यायिक विकल्पों की संरचना अस्थिर है। एक अदालत का फैसला दूसरी अदालत द्वारा उलट दिया जाना न्यायिक अनिश्चितता का संकेत है। ये एक विधिक असंगति है जिसका असर सामाजिक विश्वास पर पड़ रहा है। इसका निवारण तभी संभव है जब हम न्यायिक निर्णयों के लिए एक स्थिर तर्कसंगत ढांचा विकसित करें।
  • Sini Balachandran
    Sini Balachandran जून 10, 2024 AT 07:45
    हम सब न्याय की बात करते हैं, लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि न्याय का मतलब क्या है? क्या ये सिर्फ एक फैसला है? या ये तो एक भावना है - जो उन लोगों के दिल में बसती है जिन्हें न्याय नहीं मिला।
  • Sanjay Mishra
    Sanjay Mishra जून 11, 2024 AT 02:52
    अरे भाई, ये मामला तो एक बॉलीवुड फिल्म से भी ज्यादा ड्रामा है! एक तरफ राम रहीम का देवता बनना, दूसरी तरफ रंजीत का परिवार रोता हुआ... अब चन्नी ने भी अपना डायलॉग दे दिया। अगला एपिसोड कब आएगा? सर्वोच्च न्यायालय का अंतिम फैसला? या फिर एक नया अपराधी? 😅
  • Ashish Perchani
    Ashish Perchani जून 12, 2024 AT 11:08
    यह एक अत्यंत गंभीर न्यायिक और राजनीतिक चुनौती है। न्यायिक प्रक्रिया के भीतर निर्णयों के बीच अंतर को निर्धारित करने के लिए एक स्पष्ट और अनुकूलित न्यायिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त, राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा न्यायिक निर्णयों का उपयोग करना लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
  • Dr Dharmendra Singh
    Dr Dharmendra Singh जून 13, 2024 AT 19:37
    हमें उम्मीद रखनी चाहिए... सच्चाई अक्सर धीरे-धीरे सामने आती है 😊
  • sameer mulla
    sameer mulla जून 14, 2024 AT 15:09
    क्या तुम सब यहाँ बैठे हो कि न्याय के बारे में बात करो? असली न्याय तो वो है जब गुरमीत राम रहीम की आँखें बंद हो जाएं। और तुम सब बस इस बारे में बात कर रहे हो कि कौन बोला क्या। असली न्याय तो बंदूक में है। 💥
  • Prakash Sachwani
    Prakash Sachwani जून 16, 2024 AT 10:25
    फैसला हुआ तो अब छोड़ दो बस
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