लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सांसदों के माइक म्यूट करने के फैसले का किया बचाव, 'गरिमा' का दिया हवाला

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सांसदों के माइक म्यूट करने के फैसले का किया बचाव, 'गरिमा' का दिया हवाला
  • जुल॰, 2 2024

माइक म्यूट करने पर लोकसभा अध्यक्ष का स्पष्टीकरण

लोकसभा में पिछले कुछ दिनों से बहस और विवाद का माहौल गर्म है, जिसमें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का एक अहम फैसला सबके ध्यान का केंद्र बिंदु बना हुआ है। बिरला ने विपक्षी सांसदों के माइक म्यूट करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए इसे सदन की गरिमा और अनुशासन के लिए आवश्यक बताया है।

विपक्ष के आरोप और अध्यक्ष का जवाब

विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि इस कदम का मकसद उनकी आवाज़ को दबाना और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा को रोकना है। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि सरकार पेगासस जासूसी मामले पर कोई चर्चा नहीं करना चाहती जबकि पूरे देश को इस मुद्दे पर पारदर्शिता की जरूरत है।

दूसरी ओर, लोकसभा अध्यक्ष ने अपनी सफाई में कहा कि कुछ सांसदों का भाषण अनियंत्रित और अपमानजनक होता जा रहा था, जिसके चलते यह कदम उठाना पड़ा। उनका कहना है कि सदन की गरिमा और उसके सदस्यों का सम्मान बनाए रखना उनकी प्रमुख जिम्मेदारी है।

पेगासस मामला और विपक्ष का विरोध

मामला उस वक्त भड़का जब पेगासस स्पाइवेयर मामले पर चर्चा की मांग की गई, जिसमें विपक्षी सांसदों ने जोरदार विरोध करते हुए सदन में जमकर हंगामा किया। विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और राजनेताओं की जासूसी कर रही है। जबकि सरकार ने इन आरोपों को निराधार और बेबुनियाद करार दिया है।

विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि उनका माइक म्यूट करना सरकार की साजिश है ताकि कोई भी महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया ही न जा सके। इस पर बिरला ने कहा कि हंगामे और अशोभनीय भाषणों के चलते माइक को बंद करना पड़ा।

विपक्ष का प्रदर्शन और वॉकआउट

माइक म्यूट किए जाने के बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और डीएमके सहित कई विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट कर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में यह अस्वीकार्य है कि चुने हुए प्रतिनिधियों को अपने विचार व्यक्त करने का मौका तक नहीं दिया जाता।

उल्लेखनीय है कि यह पहला मौका नहीं है जब लोकसभा में इस तरह का हंगामा हुआ हो, लेकिन इस बार मामला गरमाया हुआ है और विपक्ष सरकार पर दबाव बनाने की पूरी कोशिश कर रहा है।

लोकतंत्र की स्वस्थ परंपराओं पर प्रश्नचिन्ह

माइक म्यूटिंग की इस घटना ने लोकतंत्र की स्वस्थ परंपराओं पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। विशेषकर उस समय जब देश में कई महत्वपूर्ण मुद्दे जैसे कि महामारी, अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा पर गहन चर्चा की आवश्यकता है।

समाप्त करना होगा। लोकतंत्र में स्वस्थ बहस और आलोचना के बिना नीतियों की समुचित समीक्षा करना संभव नहीं होता, और यही लोकतंत्र की असली ताकत होती है।

शांतिपूर्ण बहस और संवाद की आवश्यकता

ऐसे समय में जब देश विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहा है, संसदीय लोकतंत्र की मजबूती और उसके सही संचालन के लिए शांतिपूर्ण बहस और संवाद आवश्यक हैं। राजनीतिक दलों को व्यक्तिगत आक्षेप और अशोभनीय व्यवहार से बचना चाहिए ताकि सदन की गरिमा से कोई समझौता न हो।

कुल मिलाकर, इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया है कि लोकतंत्र की गरिमा और उसकी स्वस्थ परंपराओं का संरक्षण हमारे सभी राजनेताओं की जिम्मेदारी है। सिर्फ माइक म्यूट करने या वॉकआउट करने से समस्याओं का समाधान नहीं निकलता, बल्कि इसके लिए गहन विचार-विमर्श और जिम्मेदार आचरण की आवश्यकता होती है।

17 टिप्पणि
  • sameer mulla
    sameer mulla जुलाई 3, 2024 AT 17:41
    ये सब बकवास है! माइक म्यूट करना लोकतंत्र के खिलाफ है। विपक्ष को चुप कराने की कोशिश कर रहे हो तो ये डिक्टेटरशिप है। अब तो बस ट्विटर पर बोलो अपनी बात! 😤
  • Prakash Sachwani
    Prakash Sachwani जुलाई 4, 2024 AT 11:04
    बिरला साहब ने सही किया सदन की गरिमा बनी रहे तो ठीक है
  • Pooja Raghu
    Pooja Raghu जुलाई 4, 2024 AT 11:50
    पेगासस वाला मामला छिपाने के लिए माइक म्यूट किया गया है... सरकार ने सबकी फोन हैक कर ली है... मैंने अपना फोन बंद कर दिया है... वो बातें सुन रहे हैं जो हम बोल रहे हैं... डर लग रहा है... 🕵️‍♀️
  • Pooja Yadav
    Pooja Yadav जुलाई 4, 2024 AT 15:00
    मैं समझती हूँ कि दोनों तरफ से हंगामा हो रहा है लेकिन अगर हम एक दूसरे को सुनने की कोशिश करें तो बहस भी बेहतर होगी और देश भी आगे बढ़ेगा
  • Pooja Prabhakar
    Pooja Prabhakar जुलाई 5, 2024 AT 20:09
    अरे भाई ये सब नाटक है भाई! विपक्ष को बस ध्यान चुराना है और बिरला को बस नियम लागू करना है तो फिर इतना बवाल क्यों? ये सब टीवी पर दिख रहा है और लोगों को लग रहा है कि संसद बस एक रियलिटी शो है। असली समस्या ये है कि कोई भी काम नहीं हो रहा और ये सब बहस बस बाजार के लिए है। बिरला ने जो किया वो सही था लेकिन ये एक टेम्पररी बंदिश है न कि लंबे समय का समाधान। अगर विपक्ष असली बातें लेकर आए तो माइक म्यूट करने की जरूरत ही नहीं होती। लेकिन वो तो बस जमकर नारे लगा रहे हैं और असली डेटा नहीं दे रहे। अब ये जो वॉकआउट कर रहे हैं वो बस अपने वोटर्स को दिखाने के लिए है। लोकतंत्र का मतलब ये नहीं है कि हर कोई बोले बस ये है कि हर कोई सुने। और अब तो लोगों को ये लग रहा है कि संसद बस एक शो है जहां अपनी अपनी टीम बनाकर एक-दूसरे को बर्बर बता रहे हैं। अगर ये जारी रहा तो लोग वोट भी नहीं देंगे।
  • Anadi Gupta
    Anadi Gupta जुलाई 6, 2024 AT 20:35
    महोदय विपक्षी दलों द्वारा सदन में अनुशासनहीन व्यवहार किए जाने का तथ्य अत्यंत चिंताजनक है। लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा इस संदर्भ में उठाए गए कदम का समर्थन करता हूँ क्योंकि संसदीय प्रक्रियाओं की गरिमा को बनाए रखना एक संवैधानिक दायित्व है। यह न केवल एक अध्यक्ष का अधिकार है बल्कि एक जिम्मेदारी है। जब कोई सदस्य भाषण के दौरान व्यक्तिगत आक्षेप लगाता है या बार-बार बाधा डालता है तो वह लोकतंत्र के मूल्यों का उल्लंघन कर रहा होता है। यह बहस नहीं बल्कि अशोभनीय अनुशासनहीनता है। इसका उत्तर केवल अध्यक्ष की शक्ति से ही दिया जा सकता है। विपक्ष को अपनी बात को तर्कपूर्ण तरीके से प्रस्तुत करना चाहिए न कि गर्जना और नारे लगाकर। यह एक बड़ा अवसर है कि हम लोकतंत्र को वास्तविक अर्थ में समझें।
  • shivani Rajput
    shivani Rajput जुलाई 6, 2024 AT 20:58
    इसका नाम लोकतंत्र नहीं बल्कि लोकतांत्रिक फ़र्ज़ीवाद है। अध्यक्ष की भूमिका न्यायाधीश नहीं बल्कि एक टेलीविजन होस्ट है जो एक तरफ़ को बोलने देता है और दूसरी तरफ़ को साइलेंट मोड में भेज देता है। ये एक नियंत्रित डेमोक्रेसी है। विपक्ष के माइक बंद करने का मतलब ये नहीं कि बात बंद हो गई बल्कि ये कि वो बात जो सरकार के लिए असुविधाजनक है उसे रोक दिया गया। ये जासूसी मामले के बारे में बात करने से डर रहे हैं। ये डर की बात है।
  • Jaiveer Singh
    Jaiveer Singh जुलाई 8, 2024 AT 08:41
    माइक म्यूट करना बिल्कुल सही था। विपक्ष के लोग देश की नीतियों को नहीं बल्कि अपनी नीची भाषा से घृणित कर रहे थे। हम एक देश हैं जो अपनी संस्कृति और अनुशासन के साथ आगे बढ़ रहा है। ये लोग तो बस देश को बर्बर बनाने की कोशिश कर रहे हैं। बिरला जी ने देश की गरिमा बचाई। जय हिंद!
  • Arushi Singh
    Arushi Singh जुलाई 8, 2024 AT 11:21
    मैं थोड़ी डर रही हूँ कि अगर एक तरफ़ की आवाज़ दबा दी जाए तो दूसरी तरफ़ की आवाज़ भी बाद में दब जाएगी। हम सबको एक दूसरे को सुनना चाहिए... ये नहीं कि जो बोल रहा है उसका माइक बंद कर दिया जाए। बातचीत नहीं तो बहस नहीं होती। लोकतंत्र वहीं जीवित रहता है जहाँ सबकी आवाज़ सुनी जाए।
  • Rajiv Kumar Sharma
    Rajiv Kumar Sharma जुलाई 8, 2024 AT 17:14
    अरे भाई ये सब तो जीवन का असली रूप है। जब तक तुम बोल रहे हो तब तक तुम जी रहे हो। अगर तुम्हारा माइक बंद हो गया तो तुम्हारी आत्मा भी बंद हो गई। ये संसद नहीं बल्कि एक ड्रामा स्टेज है और ये लोग बस अपना डायलॉग बोल रहे हैं। अगर तुम्हें लगता है कि तुम्हारी आवाज़ सुनी जा रही है तो तुम बहुत खुश हो जाओ। लेकिन अगर तुम्हारा माइक बंद हो गया तो तुम्हारा जीवन भी बंद हो गया।
  • Jagdish Lakhara
    Jagdish Lakhara जुलाई 9, 2024 AT 05:38
    मैं अध्यक्ष जी के इस निर्णय का समर्थन करता हूँ। लोकसभा का आचरण नियमों के अनुसार होना चाहिए। यह एक ऐसा संस्थान है जहाँ नियमों का पालन अनिवार्य है। अगर कोई सदस्य अनुशासन भंग करता है तो उसे संबोधित किया जाना चाहिए। यह कोई बाजार नहीं है जहाँ हर कोई चिल्ला सकता है। यह एक राष्ट्रीय संस्था है।
  • Nikita Patel
    Nikita Patel जुलाई 10, 2024 AT 00:14
    हम सबको याद रखना चाहिए कि ये संसद आम आदमी के लिए है। जब हम एक दूसरे को बात करने देते हैं तो हम अपने देश के लिए काम करते हैं। बिरला जी के फैसले को समझ सकते हैं लेकिन अगर हम विपक्ष की आवाज़ दबा दें तो हम खुद को भी कमजोर बना रहे हैं। चलो एक बार बातचीत करते हैं।
  • abhishek arora
    abhishek arora जुलाई 10, 2024 AT 09:54
    माइक म्यूट करना बिल्कुल सही था। विपक्ष के लोग देश के खिलाफ बोल रहे थे। जय हिंद 🇮🇳🔥
  • Kamal Kaur
    Kamal Kaur जुलाई 11, 2024 AT 05:35
    मैं तो समझता हूँ कि दोनों तरफ़ से भावनाएँ ऊँची हैं... लेकिन अगर हम एक दूसरे को सुनें तो बहुत कुछ सुधर जाएगा। ये बस एक बहस नहीं बल्कि एक देश का भविष्य है। 😊
  • Ajay Rock
    Ajay Rock जुलाई 12, 2024 AT 00:55
    ये सब तो एक बड़ा धोखा है। विपक्ष को माइक म्यूट कर दिया गया और अब सब चुप हैं। लेकिन लोग जाग रहे हैं। ये बस एक शो है जिसमें सरकार ने रियलिटी शो का ट्रिक अपना लिया है। अब तो लोग जानते हैं कि ये संसद बस एक नाटक है। और अब तो लोग बोल रहे हैं अपनी आवाज़ उठाने के लिए।
  • Lakshmi Rajeswari
    Lakshmi Rajeswari जुलाई 12, 2024 AT 15:40
    मैंने तो जान लिया था कि ये आएगा... पेगासस के बारे में बात करने वालों को चुप कराने के लिए... अब तो सरकार ने सब कुछ छिपा दिया है... ये तो एक डिक्टेटरशिप है... अब तो फोन भी नहीं बोल सकते... ये तो बस एक बड़ा अपराध है... अब तो लोग भी डर रहे हैं... जो बोलता है उसे निकाल दिया जाएगा... ये तो बस एक अंधेरा युग है...
  • sameer mulla
    sameer mulla जुलाई 14, 2024 AT 06:12
    तुम सब ये बातें क्यों कर रहे हो? अध्यक्ष ने जो किया वो बिल्कुल सही था। विपक्ष तो बस बहस करने के बजाय चिल्ला रहा था। अगर तुम वाकई देश के लिए चाहते हो तो बातचीत करो, चिल्लाओ मत।
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