छावा – क्या है और क्यों ज़रूरी?

छावा शब्द सुनते ही दिमाग में सैनिकों का कैंप या बेस दिखता है। दरअसल, छावाएं भारतीय सेना की बुनियादी इकाई होती हैं जहाँ ट्रेनींग, रख‑रखाव और रणनीतिक योजनाओं के लिए जगह बनायी जाती है। यह सिर्फ़ एक इमारत नहीं, बल्कि कई कार्यों को जोड़ने वाला केंद्र है।

भारत में छावाएं अलग-अलग आकार की हो सकती हैं—छोटी पैदल सेना कैंप से लेकर बड़े एयरफ़ोर्स बेस तक। इन सबका मकसद सुरक्षा सुनिश्चित करना और सैनिकों के लिये रहने‑जाने का आरामदेह माहौल बनाना है। अब चलिए देखें कि छावाओं में क्या-क्या काम होते हैं और उनका प्रभाव कैसे बढ़ रहा है।

छावा के विभिन्न प्रकार

1. पैदल सेना की छावांएँ: ये आमतौर पर हिल स्टेशन या सीमा क्षेत्रों में होती हैं, जहाँ ट्रेनींग और पहाड़ी युद्ध की तैयारी होती है। 2. आर्म्ड कॉरपोरेशन के कैंप: टैंकों व मोटराइज़्ड युक्तियों को रख‑रखाव करने वाले ये बेज़ बड़े प्लॉट्स में बनते हैं। 3. वायुसेना बेस: रनवे, हॉल और एअरक्राफ्ट मेन्टेनेन्स के लिए विस्तृत सुविधाएँ उपलब्ध कराते हैं। 4. विशेष ऑपरेशन छावांएँ: गुप्त मिशनों की तैयारी में इनका इस्तेमाल होता है, इसलिए सुरक्षा कड़ी होती है।

इन सभी प्रकारों का मुख्य उद्देश्य सैनिकों को प्रशिक्षित करना और आवश्यक सामग्रियों को सुरक्षित रखना है। साथ ही, कई बार ये छावाएं स्थानीय लोगों के लिये रोजगार भी देती हैं—भोजन सेवा से लेकर सफाई तक विभिन्न काम होते हैं।

छावा से जुड़ी प्रमुख खबरें

हाल में भारत‑मालदीव संबंधों की नई ऊर्जा को देख कर कई छावाओं में उन्नयन कार्य तेज़ी से चल रहा है। विदेशियों के साथ मिलकर सुरक्षा सहयोग बढ़ाने हेतु नई सुविधाएं जोड़ने की योजना बनाई गई है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था भी फलेगी।

दूसरी ओर, उत्तराखंड के कुछ छावाओं में भारी बरफ़ और बाढ़ ने राहत कार्य को कठिन बना दिया। प्रशासन ने तुरंत त्वरित मदद के लिए मोबाइल हॉस्पिटल और आपातकालीन भोजन वितरण की व्यवस्था शुरू कर दी। इन घटनाओं से स्पष्ट है कि छावाएं सिर्फ़ सैन्य नहीं, बल्कि मानवीय सहायता का भी केंद्र बन सकती हैं।

छावाओं को लेकर लोगों में अक्सर सुरक्षा की चिंता रहती है—लेकिन सही प्रबंधन और पारदर्शी नीति के साथ ये न केवल देश की रक्षा करती हैं, बल्कि स्थानीय विकास में भी योगदान देती हैं। अगर आप छावांएँ देखना चाहते हैं तो सार्वजनिक तौर पर खुले हुए दर्शनीय स्थानों जैसे सीमा रेखा के पास स्थित कैंप्स का दौरा कर सकते हैं, जहाँ अक्सर पर्यटक गाइडेड टूर आयोजित होते हैं।

सार में कहें तो, छावाएं भारतीय रक्षा प्रणाली की रीढ़ हैं। उनका इतिहास समृद्ध है और भविष्य में भी इनका रोल बढ़ता जाएगा। चाहे आप सैन्य के शौकीन हों या बस सामान्य जिज्ञासु—छावाओं को समझना आपके लिए उपयोगी जानकारी लाएगा।

विक्की कौशल की 'छावा' ने मचाई धूम, बॉक्स ऑफिस पर 8वें दिन की बंपर कमाई

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विक्की कौशल की फिल्म *छावा* ने अपने 8वें दिन में ₹23 करोड़ की कमाई की, जिससे भारत में इसकी कुल कमाई ₹242.25 करोड़ हो गई है। यह *उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक* की कमाई को पीछे छोड़ने के करीब है। फिल्म की ग्लोबल कमाई ₹350 करोड़ के पार जा चुकी है। यह विक्की कौशल के करियर की अभी तक की सबसे बड़ी हिट बनने जा रही है। रश्मिका मंदाना की यह तीसरी हिंदी फिल्म भी ₹200 करोड़ से अधिक कमाई कर चुकी है।

  • फ़र॰, 28 2025
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