धुंध – जानिए इस कोहरे के रहस्य

जब हम धुंध, एक ठंडी हाइड्रोमैटिक घटना है जिसमें जलवाष्प छोटे‑छोटे जल‑कणों में बदलकर हवा में निलंबित हो जाती है. Also known as कोहरा, यह दृश्यता को घटा देती है और अक्सर सुबह‑शाम के समय दिखाई देती हैधुंध का असर सिर्फ नजर में ही नहीं, बल्कि हमारे दैनिक जीवन के कई पहलुओं में भी महसूस होता है।

धुंध और मौसम का गहरा संबंध

धुंध मौसम, वायुमंडलीय स्थिति का समुच्चय है जिसमें तापमान, आर्द्रता, दबाव और वायुदाब शामिल होते हैं का एक भाग है। ठंडी हवा और उच्च आर्द्रता मिलते ही जल‑कण संघनित होते हैं और धुंध बनती है। मौसमी बदलाव, जैसे मानसून का पहुँचना या शरद ऋतु में ठंड, धुंध की तीव्रता को सीधे प्रभावित करते हैं। यही कारण है कि उत्तर भारत में पहाड़ी क्षेत्रों में धुंध अक्सर खड़ी रहती है।

धुंध के कारण दृश्यता, ड्राइवर, पायलट और पादायियों के लिए दिखाई देने वाली दूरी को दर्शाता है काफी घट जाती है। जब दृश्यता कम होती है तो सड़क पर गाड़ी चलाते समय या हवाई जहाज के टेकऑफ़ में जोखिम बढ़ जाता है। कई बार धुंध के कारण दुर्घटनाएँ बढ़ जाती हैं, इसलिए ट्रैफ़िक नियंत्रण और वैहिकल लाइट्स का सही उपयोग आवश्यक हो जाता है।

सिर्फ यात्रा ही नहीं, धुंध का असर हमारे स्वास्थ्य, प्रमुख रूप से श्वसन तंत्र, अलर्जिक प्रतिक्रियाएँ और नाड़ी रोगों पर प्रभाव डालता है भी पड़ता है। नाज़ुक अलर्जिक लोग या अस्थमा वाले मरीज धुंध के छोटे‑छोटे जल‑कणों को सांस में ले ले सकते हैं जिससे खाँसी, साँस फूलना और अस्थमा का अटैक हो सकता है। ऐसे में घर के अंदर एयर प्यूरीफायर या उचित वेंटिलेशन महत्वपूर्ण बन जाता है।

पर्यावरणीय दृष्टिकोण से देखें तो धुंध पर्यावरण, वायुमंडलीय, जलवायु तथा जलीय और स्थलजीवियों के बीच जटिल संबंधों को दर्शाता है को भी प्रभावित करती है। पत्तियों की सतह पर नमी की अधिकता प्रकाश संश्लेषण को धीमा कर देती है, जबकि कुछ पौधे इस नमी का उपयोग करके बेहतर विकास कर पाते हैं। धुंध के दौरान वायुमंडल में प्रदूषकों का प्रवाह धीमा हो जाता है, जिससे वायु गुणवत्ता कुछ समय के लिए सुधर भी सकती है।

अब तक हमने धुंध के मूल गुण, मौसम से जुड़ाव, दृश्यता, स्वास्थ्य और पर्यावरण पर चर्चा की। नीचे आपको धुंध से जुड़ी ताज़ा खबरें, राज्य‑स्तरीय रिपोर्ट और विशेषज्ञों के विश्लेषण मिलेंगे जो आपके रोज़मर्रा के फैसलों में मदद करेंगे। चलिए, इस जानकारी के साथ आगे के लेखों में डुबकी लगाते हैं।

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  • अक्तू॰, 6 2025
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