CBDT ने आय कर वर्ष 2025-26 की डेडलाइन में बदलाव किया, गैर‑ऑडिट आयकर रिटर्न को 16 सितंबर तक बढ़ाया और टैक्स ऑडिट रिपोर्ट को 31 अक्टूबर तक का नया समय दिया। यह कदम तकनीकी गड़बड़ियों, फॉर्म की देर से रिलीज़ और प्राकृतिक आपदाओं के कारण आया। करदाताओं को अब भी देर से दाखिल करने पर दंड लगेगा, पर नई मियाद से कई को राहत मिली है।
आयकर दंड: कब लगता है और कैसे बचा जाए
जब बात आयकर दंड, वित्तीय वर्ष में निर्धारित समय पर आयकर रिटर्न न भरने या कमीशन के नियम तोड़ने पर लगने वाला जुर्माना. इसे अक्सर टैक्स पेनल्टी कहा जाता है। इससे बचने के लिए आयकर, वर्षीय आय पर सरकार द्वारा लगाई गई कर राशि की सही समझ जरूरी है, साथ ही आयकर अधिनियम, भारत में आयकर से संबंधित कानूनी ढांचा की मुख्य धारा भी ध्यान में रखनी चाहिए। मूल रूप से, आयकर दंड तब लागू होता है जब करदाता समय पर रिटर्न नहीं देता या गलत रिपोर्टिंग करता है, और यह दंड राशि गलतियों की गंभीरता और बार-बार होने पर बढ़ती है.
आइए देखें कि कौन-कौन से प्रमुख कारणों से आयकर दंड उत्पन्न होता है। पहला, यदि आप रिटर्न फाइलिंग ड्यू डेट (आमतौर पर 31 जुलाई) के बाद भी रिटर्न नहीं जमा करते, तो हर महीने एक निश्चित % के आधार पर जुर्माना बढ़ता जाता है। दूसरा, यदि आपने आय के कुछ हिस्से को छुपाया और बाद में आयकर विभाग को पता चला, तो कर चोरी के तहत दंड की सजा लागू होगी, जो मूल कर राशि के दस गुना तक जा सकती है। तीसरा, गलत या अपूर्ण दस्तावेज़ जमा करने पर भी पेनल्टी लगती है, खासकर जब आय के स्रोत स्पष्ट नहीं होते। ये सभी कारण
की गणना को जटिल बनाते हैं, लेकिन समझदारी से योजना बनाकर आप इन जोखिमों से बच सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, रिटर्न फाइलिंग से पहले अपने सभी फॉर्म 16, फॉर्म 26AS, और बैंक स्टेटमेंट की जांच कर लें। यदि कोई छूट या डिडक्शन सही नहीं दिख रहा, तो टैक्स कंसल्टेंट से सलाह लेनी चाहिए। इस तरह की तैयारियां न केवल दंड को घटाती हैं, बल्कि भविष्य में कर जांच के दौरान भी मददगार साबित होती हैं.दंड से बचने के व्यावहारिक टिप्स
अब बात करते हैं कुछ सरल कदमों की, जो आयकर दंड को न्यूनतम रखने में मदद करेंगे। पहला, प्राथमिकता से रिटर्न फाइल करना है। देर से फाइल करने पर जुर्माना तब बढ़ता है जब तक आप फाइल नहीं कर लेते। दूसरा, सभी आय स्रोतों को सटीक रूप से रिपोर्ट करें – चाहे वे वेतन, फ्रीलांस भुगतान, ब्याज या पूँजी लाभ हों। तीसरा, यदि आपको रिटर्न में गलती मिलती है, तो तुरंत संशोधित रिटर्न (Revised Return) दाखिल करें; इससे अतिरिक्त दंड से बचा जा सकता है। चौथा, आयकर अधिनियम के संबंधित सेक्शन 139(5) और 234A को पढ़ें – यह आपको देर से फाइलिंग और कम भुगतान पर लागू दंड के प्रतिशत बताता है। अंतिम, अगर आप स्वयं नहीं समझते तो टैक्स प्रोफेशनल की मदद लें, क्योंकि एक छोटी सी सलाह बड़ी जुर्माने की बचत कर सकती है। इन उपायों को अपनाकर आप न केवल दंड से बचेंगे, बल्कि अपनी टैक्स फाइलिंग को समय पर और सही रखकर वित्तीय स्थिरता भी बढ़ा पाएँगे.
नीचे दी गई सूची में हम विभिन्न मामलों पर लिखा हुआ लेख एकत्रित किए हैं – IPO, मौसम अपडेट, दुर्घटना, खेल, राजनीति आदि। हालांकि ये लेख सीधे आयकर दंड से नहीं जुड़े, लेकिन इन विषयों में अक्सर आर्थिक या टैक्स पहलू छुपे होते हैं। इस संग्रह को पढ़कर आप समग्र आर्थिक परिप्रेक्ष्य समझ सकते हैं और तब आयकर से जुड़ी अपनी योजनाओं को बेहतर बना सकते हैं। अब आगे बढ़ते हुए आप इन लेखों में छिपे उपयोगी बिंदुओं को देख सकते हैं, और साथ ही अपने कर दायित्व को भी सहज बना सकते हैं.