LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया का ₹11,607 करोड़ IPO 7 अक्टूबर को खुला, पहले दिन 0.61‑गुना सब्सक्रिप्शन, 14 अक्टूबर को NSE‑BSE पर लिस्टिंग, बाजार में बड़ी रुचि.
NSE – भारत का प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज
जब हम NSE, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया का संक्षिप्त रूप, राष्ट्रीय स्तर पर स्टॉक ट्रेडिंग की मुख्य बुनियाद की बात करते हैं, तो तुरंत दो जुड़े हुए शब्द दिमाग में आते हैं – IPO, प्रारम्भिक सार्वजनिक ऑफ़र, यानी कंपनियों का पहली बार शेयर बाजार में प्रवेश और RBI, रेजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया, जिसका मौद्रिक नीति और रेपो दर NSE के ट्रेडिंग वॉल्यूम पर सीधे असर डालती है। ये तीनों तत्व आपस में जुड़े हैं: NSE ट्रेडिंग के लिए मंच प्रदान करता है, IPO नई कंपनियों को लिस्ट करवाता है, और RBI का नियामक दृष्टिकोण बाजार की स्थिरता तय करता है। इस तालमेल को समझना निवेशकों के लिए ज़रूरी है क्योंकि Sensex, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक, अक्सर NSE के प्रदर्शन का प्रतिबिंब होता है और Nifty, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का 50‑स्टॉक इंडेक्स, बाजार के स्वास्थ्य को दर्शाता है भी इसी साथ गति बनाते हैं।
यह पेज तीन मुख्य संबंधों को उजागर करेगा: पहला, NSE encompasses stock trading, यानी यह सभी प्रकार के शेयर, डेरिवेटिव और इक्विटी ट्रेडिंग का आधार है। दूसरा, NSE requires regulatory oversight – RBI और SEBI की नीतियां यह सुनिश्चित करती हैं कि बाजार में पारदर्शिता और निवेशक संरक्षा बनी रहे। तीसरा, IPO influences market activity – नई लिस्टिंग से लिक्विडिटी बढ़ती है और इंडेक्स में नवीनतम बदलाव आते हैं। इन ट्राईप्लेट्स को समझकर आप मौजूदा लेखों में गहराई से देख सकेंगे कि कैसे इक्विटी बाजार के बड़े‑छोटे घटक एक‑दूसरे को प्रभावित करते हैं।
NSE से जुड़ी प्रमुख खबरें और उनका असर
आँखें खुलें तो आप देखेंगे कि Tata Capital का 15,512 करोड़ का IPO कम सब्सक्रिप्शन के साथ जारी हुआ, जो सीधे NSE के लिस्टिंग लाइन‑अप को प्रभावित कर रहा है। इसी तरह RBI ने रेपो दर 5.5% पर बरकरार रखी, जिससे वित्तीय संस्थाओं की लागत तय हुई और शेयर बाजार में स्थिरता आई। Sensex और Nifty में दैनिक उतार‑चढ़ाव, जैसे कि Sensex के 733 अंक गिरना और Nifty का 24,700 से नीचे जाना, इस बात का संकेत है कि वैश्विक टैरिफ और घरेलू नीतियों का तत्काल प्रभाव NSE के ट्रेडिंग वॉल्यूम पर पड़ता है।
इन सबकों को देख कर हमें यह समझ आता है कि NSE केवल एक ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म नहीं, बल्कि वित्तीय इकोसिस्टम का हृदय है जहाँ IPO, RBI की नीति, Sensex‑Nifty की चाल और यहाँ तक कि शेयर विभाजन जैसे Adani Power का 1:5 स्प्लिट भी आपस में जुड़ते हैं। जब आप नीचे की सूची पढ़ेंगे, तो आप देखेंगे कि हर लेख NSE के विभिन्न पहलू – नई लिस्टिंग, बाजार नियमन, इंडेक्स मोमेंटम और निवेशक भावना – को कवर करता है, और यह आपको एक समग्र दृश्य देता है कि वर्तमान में भारतीय शेयर बाजार में क्या चल रहा है।