क्वांट म्यूचुअल फंड के प्रबंधकों द्वारा निवेश से संबंधित गतिविधियों में अनियमितताओं के आरोपों के चलते सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) जांच कर रही है। सेबी ने नियमित निरीक्षणों के दौरान पाई गई विसंगतियों और ऑडिट फर्मों द्वारा उजागर चिंताओं के बाद मुंबई और हैदराबाद में कंपनी के कार्यालयों पर छापे मारे।
फ़्रंट रनिंग क्या है? आसान समझ
जब आप स्टॉक या डेरिवेटिव्स खरीदते‑बेचते हैं, तो कई बार बड़ी फर्में आपके ऑर्डर को पहले ही देख लेती हैं और खुद ट्रेड करती हैं। इसे ही फ़्रंट रनिंग कहते हैं। सरल शब्दों में कहें तो, किसी के बड़े ऑर्डर की जानकारी मिलते ही वही शेयर पहले खरीदना या बेचना ताकि फायदा उठाया जा सके।
फ़्रंट रनिंग कैसे काम करता है?
सोचिए, एक म्यूचुअल फंड लाखों रुपए का बड़ा ऑर्डर देता है। ब्रोकर इसे अपने सिस्टम में देखता है और तुरंत वही शेयर बाजार में खरीद लेता है। जब बड़े ऑर्डर की वजह से कीमत बढ़ती‑घटती है, तो ब्रोकर जल्दी‑जल्दी बेच देता है और मुनाफा कमाता है। यही प्रक्रिया फ़्रंट रनिंग को नुकसानदायक बनाती है क्योंकि सामान्य निवेशक अपने पैसे का सही मूल्य नहीं पा पाते।
फ़्रंट रनिंग से बचने के उपाय
पहला कदम – भरोसेमंद ब्रोकर चुनें। ऐसे ब्रोकर्स जो पारदर्शी नीति रखते हैं, उनके पास फ़्रंट रनिंग की संभावना कम रहती है। दूसरा – छोटे‑छोटे ऑर्डर दें। बड़े ट्रेडों से सिस्टम में जल्दी पकड़े जाने का खतरा रहता है। तीसरा – मार्केट टाइमिंग पर भरोसा न रखें। अगर आपको लगता है कि कीमतें जल्द ही बदलेंगी, तो तुरंत कार्रवाई करें, लेकिन अनावश्यक जोखिम न उठाएँ।
कभी‑कभी फ़्रंट रनिंग कानूनी तौर पर भी प्रतिबंधित है। भारत में सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड (SEBI) ने इसपर कड़ी नजर रखी है और उल्लंघन करने वाले ब्रोकरों को जुर्माना या लाइसेंस रद्द करने की शक्ति देता है। इसलिए अगर आप किसी अनियमित ट्रेडिंग का सामना करते हैं, तो तुरंत शिकायत दर्ज करें।
हमारी साइट पर फ़्रंट रनिंग से जुड़े कई लेख भी मिलेंगे। उदाहरण के तौर पर, “मालदिव के 60वें स्वतंत्रता दिवस” में आर्थिक सहयोग और वित्तीय मदद की बातें बताई गई हैं, जबकि शेयर बाजार की खबरों में “सेंसेक्स में भारी गिरावट” या “इन्फ़ॉर्मेशन टेक सेक्टर” जैसे विषय भी फ़्रंट रनिंग से जुड़े जोखिम को उजागर करते हैं। इन लेखों को पढ़कर आप मार्केट के बड़े‑छोटे पहलुओं को समझ सकते हैं।
अंत में, याद रखें कि निवेश का लक्ष्य लम्बी अवधि में बढ़त हासिल करना है, न कि एक ही ट्रेड से तुरंत लाभ उठाना। फ़्रंट रनिंग जैसी प्रैक्टिसेज़ पर ध्यान देना और सही जानकारी रखना आपको सुरक्षित रखेगा। अगर आप इन टिप्स को अपनाते हैं तो मार्केट की उतार‑चढ़ाव भी आपके लिए डरावनी नहीं रहेगी।
हर ट्रेड से पहले थोड़ा समय निकाल कर जोखिमों का मूल्यांकन करें, भरोसेमंद ब्रोकर चुनें और नियामक दिशा-निर्देशों पर नजर रखें। यही तरीका है फ़्रंट रनिंग के प्रभाव को कम करने का और अपने निवेश को सुरक्षित रखने का।