चेन्नई के कैटरर्स इस दीवाली पर विवाह सभागारों को विशाल रसोईघरों में बदलकर पारंपरिक मिठाईयों और स्वादिष्ट पकवानों की भरमार कर रहे हैं। ये कैटरर्स ग्राहकों को जंगरी, लड्डू, मैसूर पाक, और रिबन पकोड़ा जैसी विविध मिठाईयाँ परोसते हैं। बुजुर्ग ग्राहक अपने बच्चों और पोते-पोतियों के लिए मिठाईयों को विदेश भी भेजते हैं, जबकि आर्वी कैटरिंग सेवाएं बैंगलोर, कोयंबटूर और हैदराबाद में मिठाईयों की डिलीवरी का प्रस्ताव रखती हैं।
पारंपरिक मिठाइयाँ – भारत की मीठी विरासत
हर भारतीय परिवार में मिठाई का एक अलग ही अहमियत है। शादी, त्यौहार या सिर्फ छोटे‑छोटे जश्न के मौके पर दादियों से सुनते‑सुनाते बने ये स्वाद यादों में बस जाते हैं। इस पेज पर हम आपको भारत की सबसे लोकप्रिय पारम्परिक मिठाइयों, उनकी कहानी और घर में आसानी से बनाने के टिप्स देंगे।
देश भर की प्रमुख मिठाइयाँ
उत्तरी भारत में गुड़‑सेवई, रसमलाई और जलेबी का राज है, जबकि दक्षिणी भाग में बर्फ़ी, लड्डू, आणि पायस लोकप्रिय हैं। पश्चिमी राजस्थान के घेवर, गुजरात की घुंघरू और महाराष्ट्र की मोहरी चटनी साथ ही खीर को सभी जानते हैं। प्रत्येक मिठाई का अपना इतिहास है – जैसे गुड़‑सेवई को व्रत में उपवास टूटते समय खिलाया जाता है, या बर्फ़ी को सर्दियों की ठंड में गरम दूध के साथ परोसा जाता है।
भोजन के बाद मीठा खाने से न केवल पेट भरता है बल्कि पाचन भी ठीक रहता है। कई मिठाइयाँ जैसे खीर, रसगुल्ला और मोतीचूर में दही या दालचीनी जैसी सामग्री होती हैं जो शरीर को आराम देती हैं। इसलिए इनका सेवन संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए।
घर पर बनाएं पारम्परिक मीठा
अगर आप बाजार की मिठाइयों से बचना चाहते हैं तो घर पर बना सकते हैं। सबसे आसान रेसिपी है ‘रसमलाई’ – दही, क्रीम और केसर मिलाकर हल्के‑फूलदार स्वाद तैयार किया जाता है। बस एक कप दूध को उबालें, उसमें सूजी डालकर गाढ़ा करें, ठंडा होने दें और फिर दही की परत में घोलें। ऊपर से कटे हुए पिस्ता या बादाम छिड़कें, आपके पास सादी लेकिन लाजवाब रसमलाई तैयार है।
एक और लोकप्रिय विकल्प ‘गुड़‑सेवई’ है। दो कप सेवई को गरम पानी में भिगोएँ, फिर घी में गुड़ डालकर हल्का कड़ाही में पकाएँ, दालचीनी और इलायची का स्वाद जोड़ें। यह मिठाई जल्दी बनती है और ऊर्जा भी देती है। अगर आप थोड़ी मीठी‑खीरे वाली रोटी पसंद करते हैं तो ‘खीर’ बना सकते हैं – दूध को उबालकर चावल की बारीक कणिक डालें, बाद में शक्कर, केसर और काजू मिलाएँ, फिर ठंडा करके सर्व करें।
पर्याप्त नमी और सही तापमान पर पकाने से मिठाई का बनावट सही रहती है। अगर आप जलेबी या लड्डू जैसे तेल‑भरी चीजें बना रहे हैं तो तवे को मध्यम आँच पर गरम रखें, इससे बाहरी तल एकदम कुरकुरा बनता है जबकि अंदर नरम रहता है।
इन घर की मिठाइयों को फ्रिज में दो‑तीन दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है, लेकिन सबसे अच्छा स्वाद तब मिलता है जब ताज़ा खाए जाएँ। त्यौहार के मौकों पर इनको बड़े थालियों में सजाकर रखें और परिवार के साथ बाँटें – इससे खुशी दो गुनी हो जाती है।
तो अगली बार जब भी आप मीठे की craving महसूस करें, बाजार में नहीं बल्कि अपनी रसोई में कदम रखें। पारम्परिक मिठाइयाँ सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं। इन्हें बनाते‑बनाते आप अपने दादियों की यादों को फिर से जगा सकते हैं और नई पीढ़ी को भी ये अनमोल विरासत सौंप सकते हैं।